उत्तराखंड में कोरोना की दूसरी लहर ख़ात्मे की ओर, सरकार ने सम्भावित तीसरी लहर की तैयारी की तेज, बाल रोग विशेषज्ञों की एक 19 सदस्यीय कमेटी ने तीसरी लहर में बच्चों के लिए इलाज के लिए प्रोटोकॉल बनाकर सरकार को सौंपा
उत्तराखंड प्रदेश में कोरोना की दूसरी लहर अब ढलान पर है। जिसके बाद सरकार अब जनता को प्रदेश में लगे कोविड कर्फ़्यू में भी राहत देने की तैयारी कर रही है। लेकिन वही तीसरी लहर के सम्भावित ख़तरे को देखते हुए उससे निपटने के लिए भी व्यापक तैयारी की जा रही है। राज्य में बाल रोग विशेषज्ञों की एक 19 सदस्यीय कमेटी ने तीसरी लहर में बच्चों के लिए इलाज के लिए प्रोटोकॉल बनाकर तीरथ सरकार को सौंप दिया है। जिसको सरकार ने अपनी स्वीकृति देते हुए सभी जिलों के सीएमओ को भी भेज दिया है। राजधानी के दून मेडिकल कॉलेज में बाल रोग विभाग के एचओडी डा. अशोक कुमार की टीम अस्पतालों के बाल रोग विशेषज्ञों एवं नर्सिंग स्टाफ को ट्रेनिंग दे रही हैं। वहीं एचएनबी मेडिकल विवि के कुलपति प्रो. हेमचंद्र पांडेय और दून मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डा. आशुतोष सयाना की अगुवाई में टीम ने सम्भावित तीसरी लहर के लिए प्रोटोकॉल तैयार किया है। जिसे सरकार से स्वीकृति सचिव डा. पंकज पांडेय के आदेश के बाद मिल गई है।
कमेटी की ओर से अभिभावकों और बच्चों के लिए विशेष तौर पर निर्देश दिये गये हैं। कमेटी सदस्य कहते हैं कि तीसरी लहर में बच्चे ज्यादा संक्रमित होंगे, इसका कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। पहली और दूसरी लहर में बच्चे संक्रमित ज़रूर हुए हैं, लेकिन अधिकांश बच्चे एसिम्टोमेटिक या हल्के लक्षण वाले थे। बच्चों के अभिभावकों को डरने की जरूरत नहीं हैं। एहतियात बरतकर बच्चों को कोरोना से बचाया जा सकता है। बच्चों के खानपान में हरी सब्जियां, प्रोटीन डाइट, तरल पदार्थ और बैलेंस डाइट देकर उनकी इम्युनिटी को बेहतर रखा जा सकता है। बाहर से आने पर हाथ मुंह जरूर धोएं और बच्चों के पास नहा धोकर ही जाएं। राज्य स्तरीय कमेटी ने सम्भावित तीसरी लहर में तीन श्रेणियों में बच्चों के इलाज के मानक तय किये गये हैं। जिसमें 0 से एक माह, एक माह से दो साल, दो साल से 18 साल तक के बच्चों की अलग-अलग श्रेणी बनाई गई है। जिसके हिसाब से ही डाक्टरों एवं स्टाफ को ट्रेनिंग दी जा रही है। एसिम्टोमेटिक, माइल्ड, मोडरेट, सीवियर हर कैटेगरी के लिए अलग मानक बताए गये हैं।