Saturday, April 27, 2024
Latest:
उत्तराखंड

लिखने लगे पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत, क्यूँ कहा जाता है मुझे अलग राज्य उत्तराखंड का विरोधी ?

#उत्तराखण्डियत_तक_का_सफरनामा

आम तौर पर प्रचलित है कि मैं #उत्तराखण्ड_राज्य के समर्थन में नहीं था। इसका एक बड़ा कारण लम्बे समय तक कांग्रेस पार्टी का उत्तर प्रदेश के विभाजन के विरोध में रहना है। मैं 9वें दशक में जब राज्य आन्दोलन चरम पर था, दिल्ली में कांग्रेस पार्टी के तत्कालीन बड़े नामों में एक मात्र सक्रिय व्यक्ति था जो आन्दोलन के प्रश्न पर मौन नहीं था। मैं कुछ न कुछ कह रहा था व कर रहा था। दूसरा बड़ा कारण यह भी था कि प्रारम्भ में अल्मोड़ा संसदीय क्षेत्र ही #राज्य_आन्दोलन का केन्द्र बिन्दु था, सभी महत्वपूर्ण नेता स्व. डाॅ. डी.डी. पंत, जसवंत सिंह बिष्ट, स्व. विपिन चन्द्र त्रिपाठी, पूरन सिंह डंगवाल, श्री काशी सिंह ऐरी, स्व. श्री शमशेर सिंह बिष्ट, श्री पी.सी. तिवारी, स्व. श्री प्रताप सिंह बिष्ट, श्री नवीन मुरारी, श्री नारायण सिंह जंतवाल आदि की राजनीति का केन्द्र बिन्दु भी यही क्षेत्र था। केवल स्व. इन्द्रमणी बड़ोनी और श्री दिवाकर भट्ट टिहरी जनपद से थे। कांग्रेस, भाजपा के बाद उक्रांद तीसरी शक्ति के रूप में इसी क्षेत्र में प्रभावी थी और अल्मोड़ा उस समय जनआन्दोलनों का गढ़ था। कांग्रेस सत्तारूढ़ दल था, मुझे अपनी व पार्टी की राजनीति के रक्षार्थ इन सब महानुभवों से जूझना पड़ता था। स्वभाविक रूप से मेरा नाम राज्य आन्दोलन के विरोधियों में सबसे ऊपर लिखा जाता रहा।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *