Friday, April 26, 2024
Latest:
उत्तराखंड

पुलिस विभाग ने जारी किए कोरोना कर्फ़्यू में की गई कार्यवाही के आँकड़े, बिना कारण बाहर निकलने वाले नहीं सुधर रहे दिखा रहे आँकड़े, अब तक वसूला गया 05 करोड़ के क़रीब जुर्माना, व्यवस्था बनाने की कार्यवाही के बीच पुलिस को व्यावहारिक पक्ष का भी रखना होगा ख़याल

उत्तराखंड राज्य में कोविड काल के दूसरे चरण में सख्ती के लिये पुलिस चालानों व जुर्माने ने नया रिकॉर्ड बना दिया है। आम आदमी की मदद के लिये हलांकि उत्तराखंड पुलिस का मिशन हौसला भी जारी है। इसमें लोगों की कई प्रकार से मदद के साथ साथ अंतिम संस्कार मे पुलिस कंधा भी बन रही है। आम आदमी के सामने जहाँ रोजी रोटी नौकरी का संकट खडा हुआ है। वहीं जबर्दस्त चालानों व जुर्मानों की रकम जुटाने के पैसे भी लोगों के पास नही हो पा रहे है। लिहाजा कई लोग कोर्ट चालान करवा रहे है। व्यवस्था बनाने के लिये चालान काटने को गलत नही ठहराया जा सकता है। लेकिन व्यवहारिक पक्ष से भी इंकार नही किया जा सकता है। सडकों पर हर आदमी बेवजह नही निकला होगा। 24 मार्च से शुरु हुई दितीय लहर करीब 20 दिन मे 3 लाख से ज्यादा कार्रवाई की गई है ज्बकि करीब 5 करोड रूपये का जुर्माना वसूला गया है। वर्ष 2011 की जनसंख्या के मुताबिक उत्तराखंड में 1 करोड 86 लाख की कुल आबादी थी। हलांकि मौजूदा समय व वास्तविक आंकडो में ये ज्यादा हो सकती है लेकिन जनसंख्या से ज्यादा करीब 5 करोड रूपये का जुर्माना वसूला जा चुका है। उत्तराखंड में मैदानी जिलों को छोड दें तो पहाड के जिलो में लोगो की आर्थिकि स्थिति बहुत बेहतर नही है। वहीं मैदानी जिलो में बीते वर्ष आये लॉकडाउन रोटी रोजगार के संकट से ही लोग दूर नही हो पाये थे कि दूसरी लहर में कमर तोड चालान व जुर्माने की मोटी मोटी रकम ने लोगो को हिला कर रख दिया है। ट्रैफिक आफिस में लगने वाली कतारें मालूम पडता है कि सरकार के खजाने भऱने के लिये लगाई जा रही है। सख्ती के लिये चालान होने चाहिये लेकिन कुछ व्यवहारिक पक्ष वा हालातों को भी देखा जाना चाहिये।
एक नजर जिलेवार आंकडे व कुल धनराशि पर
पुलिस प्रवक्ता व डीआईजी कानून व्यवस्था कहते है कि राज्य में व्यवस्था बनी रहे संक्रमण खत्म हो इसके लिये पुलिस सख्ती कर रही है। कई मामलो में व्यवहारिक पक्ष भी देखकर लोगो की मदद भी की जाती है। इस मामले पर राज्य सरकार के प्रवक्ता व वरिष्ठ कैबिनेट मंत्री सुबोध उनि्याल कहते है कि सरकार जनता का हर हित कर रही है। पूर्व में सरकार ने लॉकड़ाउन में दर्ज मुकदमे तक वापस लिये है। लिहाजा उत्पीडन जैसा कुछ नही है और जो भी संभव होगा वो लोगो की मदद की जायेगी। व्यवस्था बनाने के लिये सख्ती जरूरी है लेकिन जब इंसान के पास रोजी रोटी रोज के खर्च के पैसे नही है। ऐसे में मोटे मोटे बडे चालान व जुर्माना राशि कहाँ से कैसे लायेगा ये भी सवाल है। हम पुलिस की कार्रवाई पर न ही मंशा पर सवाल खडे कर रहे है। लेकिन मौजूदा हालातो में व्यवहारिक पक्ष भी देखा जाए इस बात की पुरजोर पैरवी जरूर कर रहे है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *