उत्तराखंड चारधाम देवस्थानम बोर्ड ने शासन को भेजा प्रस्ताव, कोरोना की कम होती रफ़्तार के बीच यात्रा को चरणबद्ध तरीक़े से शुरू करने का सुझाव
उत्तराखंड चारधाम देवस्थानम बोर्ड और धामों के हक़-हकूकधारियों के बीच भले ही बोर्ड के गठन को लेकर खिंचतान चल रही हो। लेकिन वहीं कोरोना की दूसरी लहर की रफ्तार धीमी पड़ने के बाद देवस्थानम बोर्ड ने चारधाम यात्रा को चरणबद्ध तरीके से खोलने की तैयारी शुरू कर दी है। बोर्ड ने शासन को सीमित संख्या में यात्रा शुरू करने का प्रस्ताव भेजा है। उम्मीद की जा रही है कि स्वास्थ्य व आपदा प्रबंधन की अनुमति के बाद सरकार 15 जून के बाद बोर्ड के प्रस्ताव पर फैसला ले सकती है। कोरोना महामारी के कारण लगातार दूसरे साल चारधाम यात्रा स्थगित हुई है। छुट्टियाँ होने के चलते मई व जून माह में चारधाम यात्रा में सबसे ज्यादा श्रद्धालु दर्शन के लिए आते थे। लेकिन मौजूदा समय में बिना श्रद्धालुओं के चारों धाम में सन्नाटा पसरा हुआ है। सिर्फ मंदिर में पुजारी, तीर्थ पुरोहित ही पूजा पाठ की परंपरा को निभा रहे हैं। उत्तराखंड राज्य में पर्यटन अर्थव्यवस्था की रीढ़ है। जिसमें चारधाम यात्रा प्रमुख है। वहीं अब कोरोना की दूसरी लहर काबू में आता देख पिछले साल की तर्ज पर देवस्थानम बोर्ड ने चारधाम यात्रा को चरणबद्ध तरीके से खोलने की तैयारी की है। जिसमें सबसे पहले चारधामों के समीपवर्ती गांवों के लोगों को ही दर्शन की अनुमति देने की बात है। इसके बाद जिला, राज्य और बाहरी राज्यों के लोगों के लिए यात्रा शुरू की जा सकती है। चारधामों में एक दिन में आने वाले श्रद्धालुओं की क्षमता के आधार पर यात्रा को सीमित संख्या में संचालित करने का प्रस्ताव देवस्थानम बोर्ड ने दिया है। साथ ही श्रद्धालुओं के लिए ई-पास के माध्यम से यात्रा की अनुमति दी जाएगी।
सीईओ चारधाम देवस्थानम बोर्ड रविनाथ रमन का कहना है कि बीते वर्ष की तर्ज पर चारधाम यात्रा को संचालित करने की तैयारी की गई है। बोर्ड की ओर से शासन को प्रस्ताव भेजा गया है। मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में बैठक होनी है। स्वास्थ्य और आपदा प्रबंधन विभाग की ओर से जिस तरह की अनुमति मिलेगी। उसी आधार पर यात्रा का संचालन किया जाएगा। आपको बता दे कोरोना की पहली लहर में लॉकडाउन के चलते चारधाम यात्रा एक जुलाई से शुरू हुई थी। सरकार ने सबसे पहले स्थानीय लोगों को दर्शन की अनुमति दी। इसके बाद राज्यों के लोगों के लिए यात्रा खोली गई। 25 जुलाई से प्रदेश के बाहर के लोगों को आरटीपीसीआर की निगेटिव जांच रिपोर्ट और पंजीकरण के साथ यात्रा में आने की अनुमति दी गई। बीते वर्ष 3.30 लाख श्रद्धालुओं ने कोरोना संक्रमण के बीच दर्शन किए।