बद्रीनाथ धाम में लगातार हो रहा है देवस्थानम बोर्ड का विरोध, पंडा – पुरोहितों का आशीर्वाद लिए बिना नहीं हो पाएगा चुनावो पर फोकस
श्री बद्रीनाथ धाम में हक हकूक धारी और पंडा पुरोहितों ने चारधाम देवस्थानम बोर्ड के खिलाफ जन आंदोलन कर राज्य सरकार को चेताने का काम किया है कि बिना आम सहमति के बोर्ड पर फैसला नही लिया जा सकता। विरोध करने वाले स्थानीय लोगों का कहना है उन्हें दर्शन करने की अनुमति दी जाए। जहां पूरे भारतवर्ष में सभी मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारे खुले हुए हैं, तो उत्तराखंड के चार धाम ही क्यों बंद है। बद्रीनाथ धाम भारतवर्ष के चार धामों में प्रथम धाम है। देवस्थानम बोर्ड बनाकर सरकार ने बद्रीनाथ जी का नाम ही लुप्त कर दिया है। बद्रीनाथ धाम के तीर्थ पुरोहित धीरज पंचभैया मोनू का कहना है कि देवस्थानम बोर्ड बनने से लगातार चार धामों के पंडा पुरोहित व हक हकूक धारियों में खासा आक्रोश है। ऐसे में सरकार को देवास्थानम बोर्ड पर पुनः विचार करें या इसे निरस्त करें। तो 2022 के चुनाव में भाजपा को सीधा फायदा मिल सकता है अन्यथा लोगों से बात करके यह पता चला कि 2022 में भाजपा सरकार के लिए परिणाम भुगतने वाला हाल होगा। इस विषय पर पंच भैया ने समय-समय पर मुख्यमंत्री से सभी लोगों की समस्याओं का पक्ष रखते हुए बात करी उसके बाद भी कोई फैसला सुदृढ़ नहीं हो पाया।सरकार ने चारों धामों के पंडा पुरोहित व हक हकूक धारियों से बिना बात किए हुए देवस्थानम बोर्ड को पारित कर दिया था। वहीं 23 तारीख से विधानसभा सत्र में सरकार चाहे तो सभी विधायकों का समर्थन लेकर देवस्थानम बोर्ड को निरस्त कर सकती है। स्थानीय लोगों का कहना है कि उनको बद्रीनाथ धाम के दर्शन करने दिए जाएं वैसे भी बद्रीनाथ धाम में दूर से ही दर्शन किए जाते हैं चारों धामों के लोगों का कहना है यदि देवस्थानम बोर्ड भंग नहीं हुआ तो आने वाले चुनाव में बीजेपी को खामियाजा भुगतना पड़ेगा।