सरकारी सिस्टम के आगे बेदम पहाड़ में बच्चों का भविष्य, सालों बाद भी न तो बना सैनिक स्कूल और न ही खुली NCC अकादमी
Uttrakhand राज्य में सरकार किसी भी दल की रही हो विकास करने की बाते जमकर कही जाती है। लेकिन उसी विकास की राह में कई बार सिस्टम ही सबसे बड़ी अड़चन बनकर खड़ा हो जाता है। प्रदेश के रुद्रप्रयाग जनपद में जखोली सैनिक स्कूल और टिहरी जनपद के देवप्रयाग की एनसीसी एकेडमी इसका सबसे बड़ा उदाहरण हैं। जहां सैनिक कल्याण और शिक्षा विभाग की आपसी लड़ाई की वजह से सैनिक स्कूल आठ साल से अपने अस्तित्व की बाट जोह रहा है। वहीं सरकारी घोषणाओं ने एनसीसी एकेडमी को भी पलीता लगा दिया। पहले बात करें सैनिक स्कूल की तो साल 2012-13 में जखोली में सैनिक स्कूल बनाने की मंजूरी मिली थी। तत्कालीन सैनिक कल्याण मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत ने इस स्कूल को निर्माण का काम शिक्षा विभाग से छीनकर अपने अधीन कर लिया था। इस फैसले से नाखुश तत्कालीन शिक्षा मंत्री मंत्रीप्रसाद नैथानी और हरक सिंह रावत के विवाद की वजह से लंबे समय तक काम अटका रहा। बाद में सैनिक कल्याण विभाग ने सैनिक स्कूल निर्माण के लिए राजकीय निर्माण निगम को दस करोड़ रुपये दिए। निगम सवा नौ करोड़ की रिटेनिंग वॉल ही बना पाया और बाकी काम छूट गया। स्कूल को लटकता देख कई साल बार दोबारा से शिक्षा विभाग को स्कूल लौटा दिया गया। लेकिन अब तक भी स्कूल पर काम शुरू नहीं हो पाया है।
अब बात एनसीसी एकेडमी की तो वर्ष 2015-16 में उत्तराखंड को केंद्र सरकार ने एनसीसी एकेडमी का तोहफा दिया था। पांच दिसंबर 2016 को तत्कालीन सीएम हरीश रावत और स्थानीय विधायक तत्कालीन शिक्षा मंत्री मंत्रीप्रसाद नैथानी ने इसका शिलान्यास भी कर दिया। फिर 2017 में आती है बीजेपी की सरकार तत्कालीन सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने एकेडमी को टिहरी के बजाए पौड़ी में स्थापित करने की घोषणा कर दी। जिसका समाधान आज तक नहीं हो पाया। विषय कोर्ट में विचाराधीन है।