महागठबंधन की कमजोर रणनीति से बिहार में एनडीए की राह हो रही आसान
महागठबंधन की कमजोर रणनीति से बिहार में एनडीए की राह हो रही आसान
पटना। खराब चुनावी प्रदर्शन और ऊपर से मतभेद, विपक्ष की ये कमजोरियां बिहार में एनडीए की राह को आसान बना रही हैं। महागठबंधन के दलों के बीच इस समय जिस तरह की कड़वाहट है, उसमें यह कल्पना नहीं की जा सकती है कि अगले विधानसभा चुनाव में सीटों का बंटवारा निर्विवाद हो पाएगा। समझौता हुआ भी तो लोकसभा वाली गति हो सकती है। नामांकन का पर्चा दाखिल करने के अंतिम दिन तक सीट और उम्मीदवार का नाम तय होता रहेगा।
एनडीए में दिख रही है समझदारी
एनडीए में विधानसभा सीटों के बंटवारे को लेकर समझदारी बन रही है। दो प्रमुख दल भाजपा और जदयू होम वर्क कर रहे हैं। लोजपा ने भी लडने वाली न्यूनतम सीटों की संख्या बता दी है। यह उसी के आसपास हो सकती है, जितनी सीटों पर लोकसभा चुनाव के दौरान विधानसभा सीटों में लोजपा को बढ़त मिली थी। लोजपा को उस चुनाव में 35 विधानसभा क्षेत्रों में बढ़त मिली थी। लोकसभा चुनाव में एनडीए के घटक दलों ने सीटों के बंटवारे में जिस समझदारी का परिचय दिया था, उससे उम्मीद बनती है कि विधानसभा चुनाव इसको लेकर विवाद नहीं होगा। खबर तो यह है कि भाजपा-जदयू ने संभावित सीटों की अंदरूनी तौर पर पहचान कर ली है। उम्मीदवारों को तैयारी में लग जाने का निर्देश भी दे दिया गया है।