चारधाम के तीर्थ-पुरोहित और हक़-हकूकधारियों के साथ सरकार करेगी वार्ता, धर्मस्व मंत्री सतपाल महाराज ने दिया बयान- जल्द होगी बैठक
चारधाम देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड के साथ ही इसके दायरे में आने वाले 51 मंदिरों को बोर्ड के नियंत्रण से मुक्त करने पर पुनर्विचार की मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत की घोषणा के बाद सरकार सक्रिय हो गई है। संस्कृति एवं धर्मस्व मंत्री सतपाल महाराज के अनुसार जल्द ही चारधाम के तीर्थ पुरोहितों के साथ ही हक-हकूकधारियों की बैठक बुलाकर उनसे सभी बिंदुओं पर मंथन किया जाएगा। त्रिवेंद्र सरकार के कार्यकाल में चारधाम बदरीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री व यमुनोत्री और इनसे जुड़े मंदिरों की व्यवस्था को लेकर उत्तराखंड चारधाम देवस्थानम प्रबंधन अधिनियम लाया गया। पिछले साल फरवरी में इस अधिनियम के अस्तित्व में आने के बाद चारधाम देवस्थानम बोर्ड का गठन किया गया। बोर्ड के दायरे में चारधाम से जुड़े 47 मंदिरों के अलावा चार अन्य मंदिर शामिल किए गए। हालांकि, चारधाम के तीर्थ पुरोहितों के साथ ही हक-हकूकधारी बोर्ड का विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि बोर्ड में उनके हितों पर कुठाराघात किया गया है। सरकार में नेतृत्व परिवर्तन के बाद मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने साफ किया था कि देवस्थानम बोर्ड के संबंध में तीर्थ पुरोहितों व हक-हकूकधारियों से वार्ता की जाएगी। अब उन्होंने हरिद्वार में बोर्ड और इसमें शामिल 51 मंदिरों को बोर्ड के नियंत्रण से बाहर करने के संबंध में पुनर्विचार की बात कही है। संस्कृति एवं धर्मस्व मंत्री सतपाल महाराज ने कहा कि जल्द ही चारधाम के तीर्थ पुरोहितों व हक-हकूकधारियों की बैठक बुलाई जाएगी, जिसमें विभिन्न बिंदुओं पर सभी पक्षों से विचार लिए जाएंगे। उन्होंने बताया कि वैसे भी पूर्व में एक एक्ट के तहत गठित बदरीनाथ- केदारनाथ मंदिर समिति के अधीन पूर्व में 45 मंदिर शामिल थे। बदरीनाथ व उससे जुड़े 29 और केदारनाथ व उससे जुड़े 16 मंदिरों की व्यवस्था यह समिति देखती आ रही थी। देवस्थानम बोर्ड के बनने पर समिति और ये मंदिर उसके अधीन आ गए। गंगोत्री व यमुनोत्री के अलावा चंद्रबदनी मंदिर, सेम मुखेम मंदिर (टिहरी) रघुनाथ मंदिर (देवप्रयाग) व श्रीराज राजेश्वरी मंदिर (श्रीनगर-पौड़ी) को बोर्ड में शामिल किया गया।