Tuesday, November 5, 2024
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उत्तराखंड

देहरादून: राजधानी से अलग भी है इसकी पहचान

देहरादून। 9 नवंबर, 2000 से पहले देहरादून को रिटायर्ड लोगों का शहर माना जाता था। दून घाटी अपने खूबसूरत मौसम, शांत माहौल, नहरों, बासमती चावल, लीची, बेकरी उत्पादों और शैक्षणिक संस्थानों के लिए जानी जाती थी। 9 नवंबर, 2000 को नए राज्य उत्तरांचल के गठन के साथ ही देहरादून राज्य की अस्थायी राजधानी बन गया। सरकार देहरादून से चलने लगी तो यहां विकास कार्य भी तेज़ हुए। यहां की आबादी के साथ ही शहर का चरित्र भी तेज़ी से बदलना शुरु हुआ लेकिन अब भी दून शिक्षा के हब, मसूरी-चकराता जैसे बेहद खूबसूरत हिल स्टेशनों और सहस्रधारा, रॉबर्स केव जैसे पर्यटन स्थलों, दून स्कूल जैसे शिक्षण संस्थानों के लिए जाना जाता है।

गंगा-यमुना का शहर

देहरादून जिला उत्तर में हिमालय से तथा दक्षिण में शिवालिक पहाड़ियों से घिरा हुआ है। पूर्व में गंगा नदी और पश्चिम में यमुना नदी प्राकृतिक सीमा बनाती है। यह ज़िला दो प्रमुख भागों में बंटा है जिसमें मुख्य शहर देहरादून एक खुली घाटी है जो कि शिवालिक तथा हिमालय से घिरी हुई है और दूसरे भाग में जौनसार बावर है जो हिमालय के पहाड़ी भाग में स्थित है।

देहरादून उत्तर और उत्तर पश्चिम में उत्तरकाशी जिले, पूर्व में टिहरी और पौड़ी जिले से घिरा हुआ है। इसकी पश्चिमी सीमा पर हिमांचल प्रदेश का सिरमौर जिला तथा टोंस और यमुना नदियां हैं तथा दक्षिण में हरिद्वार जिले और उत्तर प्रदेश के सहारनपुर जिले इसकी सीमा बनाते हैं। गंगा और यमुना के अलावा देहरादून में आने वाली प्रमुख नदियां हैं आसन, सुसवा, टोंस, रिस्पाना, बिंदाल और अमलावा।

ऋषिकेश रेलवे स्टेशन की एक झलक

देहरादून के 1477 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में वन हैं जो ज़िले के कुल क्षेत्रफल का 43।70 फ़ीसदी हैं। इनसे ईंधन, चारे, बांस और औषधीय जड़ी बूटियों की आपूर्ति के साथ ही शहद, लाख, गम, राल, कैटचु, मोम, सींग और छिपी जैसे विभिन्न उत्पाद मिलते हैं।

द्रोणाचार्य और गुरु रामराय

देहरादन ने नामकरण को लेकर दो मुख्य विचार हैं। पहले के अनुसार यह दो शब्दों देहरा और दून से मिलकर बना है जिसमें देहरा शब्द डेरा का अपभ्रंश है। कहा जाता है कि सिख गुरु श्री हर राय के पुत्र गुरु रामराय दून घाटी में आए तो उन्होंने इस क्षेत्र में अपने और अपनेन अनुयायियों के रहने के लिए यहा अपना डेरा स्थापित किया। बाद में शहर का विकास इसी डेरे का आस-पास हुआ। डेरा शब्द के दून शब्द के साथ जुड़ जाने के कारण यह स्थान देहरादून कहलाया।

dehradun, देहरादून का घंटाघर

देहरादून का घंटाघर

आज भी गुरु राम राय के दरबार साहिब में हर साल लगने वाले झंडा मेले में हज़ारों की संख्या में लोग जुटते हैं। इनमें से बड़ी संख्या हरियाणा और पंजाब से आने वाले श्रद्धालुओं की होती है। श्रद्धालु मन्नत के अनुसार दरबार साहिब में झंडा चढ़ाने के लिए सौ साल से भी ज़्यादा इंतजार करते हैं।

इसके अलावा यह भी माना जाता है कि देहरादून का नाम पहले द्रोणनगर था। मान्यता के अनुसार पाण्डवों और कौरवों के गुरु द्रोणाचार्य ने इस को अपनी तपोभूमि बनाया था और उन्हीं के नाम पर इस नगर का नामकरण हुआ था। कुछ लोग अब देहरादून को द्रोणनगरी भी कहने लगे हैं।

ima-gallary, इंडियन मिलिट्री अकेडमी, देहरादून.

इंडियन मिलिट्री अकेडमी, देहरादून।

शिक्षण और राष्ट्रीय महत्व के संस्थान

देहरादून को अंग्रेज़ों के समय से ही शिक्षा का हब माना जाने लगा था। मशहूर दून स्कूल के अलावा यहां कई ऐसे नामी स्कूल हैं जो सौ साल से भी पुराने हैं। दून स्कूल के अलावा वेल्हम्स (गर्ल्स एंड बॉयज़) स्कूल, सेंट जॉर्ज कॉलेज मसूरी, सेंट जोसफ़ अकेडमी जैसे कई बड़े स्कूल हैं जिनमें देश के नामी-गिरामी लोगों ने पढ़ाई की है।

शिक्षण संस्थानों के अलावा देहरादून में राष्ट्रीय महत्व के कई संस्थान हैं। इनमें सबसे पहला नाम है आईएमए यानी इंडियन मिलिटरी एकेडमी का। इसके अलावा तेल और प्राकृतिक गैस आयोग, सर्वे ऑफ इंडिया, भारतीय पैट्रोलियम संस्थान प्रमुख हैं। इनके अलावा यहां वन अनुसंधान संस्थान, भारतीय वन्यजीव संस्थान, भारतीय राष्ट्रीय मिलिट्री कॉलेज भी हैं।

chakrata, चकराता देहरादून के सबसे खूबसूरत क्षेत्रों में से एक है.

चकराता देहरादून के सबसे खूबसूरत क्षेत्रों में से एक है।

पर्यटन स्थल

देहरदून शहर के अलावा पर्यटकों के लिए मसूरी, चकराता, ऋषिकेश ज़िले में आकर्षण के मुख्य केंद्र हैं। हर साल गर्मियों में लाखों की संख्या में पर्यटक इन तीनों पर्टन स्थलों पर पहुंचते हैं। हर साल पर्यटकों की बढती हुई संख्या को देखते हुए इन पर्यटक स्थलों तक पहुंच को बेहतर बनाने पर काम किया जा रहा है। मसूरी के लिए देहरादून से रोप-वे निर्माण कार्य चल रहा है तो ऋषिकेश के लिए मेट्रो ट्रेन प्रोजेक्ट पर काम हो रहा है।

देहरादून शहर के अंदर भी कई दर्शनीय पर्यटक स्थल हैं। इनमें टपकेश्वर मंदिर, मालसी डियर पार्क (चिड़ियाघर), कलंगा स्मारक, लक्ष्मण सिद्ध मंदिर, चंद्रबानी, साईं दरबार, गुच्चू पानी, तपोवन, संतलादेवी मंदिर और तथा वाडिया संस्थान जैसे दर्शनीय स्थल हैं।

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