Wednesday, October 16, 2024
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उत्तराखंड

राजकीय सेवा में आरक्षण रोस्टर से वरिष्ठता के नियम विरूद्ध निर्धारण का विरोध, उत्तराखण्ड जनरल ओ0बी0सी0 इम्पलाईज एसोसिएशन ने मुख्य सचिव को लिखा पत्र

देहरादून: पेयजल निगम के अधिकारियों की लापरवाही एवं कार्मिक नियमों की अज्ञानता के कारण निगम के अभियन्ताओं की वरिष्ठता निर्धारण के मामले में मैरिट (योग्यता) के स्थान पर आरक्षण रोस्टर से वरिष्ठता निर्धारित कर दिये जाने का मामला उत्तराखण्ड जनरल ओ0बी0सी0 इम्पलाईज एसोसिएशन के संज्ञान में आने पर आज एसोसिएशन की ओर से मुख्य सचिव को सामान्य व ओ0बी0सी0 वर्ग की पीड़ा का संज्ञान कराते हुये पेयजल विभाग के सक्षम अधिकारियों की लापरवाही एवं हीलाहवाली के कारण ज्येष्ठता निर्धारण के विवादित प्रकरण में मा0 उच्च न्यायालय एवं मा0 उच्चतम न्यायालय में कमजोर पैरवी व सही तथ्यों को प्रस्तुत न किये जाने के कारण मा0 उच्चतम न्यायालय द्वारा ज्येष्ठता निर्धारण हेतु आरक्षण रोस्टर को मान्य कर का संज्ञान कराते हुये बताया है कि पेयजल निगम में लागू की गयी यह व्यवस्था प्रदेश में कार्मिक विभाग की वर्तमान प्रचलित ज्येष्ठता नियमावली का सरासर उल्लंघन है तथा राज्य सरकार द्वारा बनाये गये नियमों के विरूद्ध है।  एसोसिएशन की ओर से भेजे गये पत्र मंे कहा गया है कि प्रकरण में घटित त्रुटिपूर्ण व्यवस्था, जो राज्य सरकार द्वारा निर्धारित नियमों/शासनादेशों के विपरीत है, के विरूद्ध सरकार/पेयजल विभाग द्वारा अब तक मा0 उच्चतम न्यायालय में सभी तथ्यों/आधारों के साथ पुनर्विचार याचिका दाखिल न किया जाना हास्यास्पद होने के साथ अत्यन्त खेदजनक भी है।

राज्य सरकार/कार्मिक विभाग के नियमों के विपरीत जाकर ज्येष्ठता का निर्धारण मैरिट (योग्यता) के स्थान पर आरक्षण रोस्टर से किया जाना सामान्य व ओ0बी0सी0 वर्ग पर स्पष्टतः कुठाराघात है, जिसे प्रदेश के सामान्य व ओ0बी0सी0 वर्ग के सदस्यों के सेवा हितों के संरक्षण के निमित्त किसी भी दशा में स्वीकार्य नहीं किया जा सकता। इस त्रुटिपूर्ण एवं नियमविरूद्ध व्यवस्था के विरूद्ध सम्बन्धित विभाग/सरकार को मा0 उच्चतम न्यायालय को सही वस्तुस्थिति से अवगत कराये जाने हेतु तत्काल पुनर्विचार याचिका योजित किये जाने की आवश्यकता थी, परन्तु कई अधिकारियों के सामान्य एवं ओ0बी0सी0 वर्ग के साथ उपेक्षापूर्ण रवैया रखे जाने के कारण सरकार को गलत फीडबैक देते हुये लम्बे समय से अबतक पूरे प्रदेश के सामान्य एवं ओ0बी0सी0 वर्ग के सदस्यों के साथ-साथ अनुसूचित जनजाति वर्ग के सदस्यों के सेवा हितों से भी खिलवाड़ की जा रही है।

आरक्षण रोस्टर से वरिष्ठता निर्धारण के त्रुटिपूर्ण एवं नियमविरूद्ध प्रक्रिया से सामान्य एवं ओ0बी0सी0 वर्ग के साथ-साथ सबसे अधिक नुकसान अनुसूचित जनजाति वर्ग के सदस्यों को होना स्वाभाविक है।

एसोसिएशन के प्रान्तीय अध्यक्ष दीपक जोशी द्वारा बताया गया है कि पेयजल निगम के इस त्रुटिपूर्ण एवं विवादित मामले के बाद प्रदेश में दूसरे वर्ग के विभिन्न संगठनों द्वारा सरकार को संबोधित ज्ञापनों में इस त्रुटिवश प्रख्यापित आदेश के सम्बन्ध में प्रदेश भर में रोस्टर आधारित आरक्षणयुक्त पदोन्नति का अवैधानिक दबाव बनाया जा रहा है, जो सामान्य एवं ओ0बी0सी0 वर्ग के कार्मिकों के हितों के खिलाफ है, जिसका उत्तराखण्ड जनरल ओ0बी0सी0 इम्पलाईज एसोसिएशन द्वारा पुरजोर विरोध किया गया है।

मुख्य सचिव से यह मांग की गयी है कि पेयजल निगम में ज्येष्ठता निर्धारण हेतु कार्मिक विभाग/सरकार द्वारा बनाये गये नियमों के विपरीत लागू की गयी आरक्षण रोस्टर के आधार पर ज्येष्ठता की व्यवस्था को समाप्त करते हुये इस सम्बन्ध में मा0 उच्चतम न्यायालय द्वारा पारित निर्णय के विरूद्ध सरकार की ओर से पुनर्विचार याचिका दाखिल कर प्रदेश के प्रभावित वर्ग की पीड़ा का निदान करने हेतु सम्यक कार्यवाही की जाय। एसोसिएशन की ओर से यह भी कहा गया है कि किसी भी वर्ग विशेष के कार्मिक संगठनों के दबाव में सामान्य व ओ0बी0सी0 वर्ग के सेवा हितों के साथ अनावश्यक खिलवाड़ करने तथा पदोन्नति में आरक्षण की बहाली की अप्रिय स्थिति उत्पन्न करने की दशा में प्रदेश कार्मिकों का यह वर्ग अपने सदस्यों के सेवा हितों के संरक्षण हेतु वर्ष 2020 की भॉति पुनः किसी भी वृहद राज्य स्तरीय आन्दोलन को अख्तियार करने हेतु बाध्य होगा।

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