बिजली कटौती के बीच UPCL प्रबंधन का अजब गज़ब खेल, एक तरफ खर्चे की बात कर रोक रहे कर्मचारियों की तनख्वाह, वहीं बैकडोर से ठेकेदारों की पेमेंट रिलीज करने का दबाव_ सूत्र
उत्तराखंड प्रदेश में बिजली कटौती से परेशान जनता त्राहिमाम करने लगी है। ऊर्जा विभाग के साथ ही सरकार भी लगातार जनता को राहत देने का दावा कर रहे है। वहीं बढ़ती गर्मी के साथ अब आम जनता का भी पारा बढ़ने लगा है। ऊर्जा निगम के अधिकारियों का कहना है कि वो लगातार खर्चों में कटौती कर जनता को राहत देने के लिए काम कर रहे है। जिसमें महंगी दरों पर ओपन मार्केट से बिजली खरीदी जा रही है। साथ ही हरसंभव प्रयास कर हर उपभोक्ता तक बिजली पहुंचाने की कोशिश हो रही है। दूसरी तरफ ऊर्जा विभाग के सूत्रों की माने तो प्रबंधन ने जनता को राहत देने के लिए बड़े फैसले लेने शुरू कर दिए है। जिसमे विभागीय कर्मचारियों की तनख्वाह पीछे होने के साथ ठेकदारों और अन्य पेमेंट को भी फिलहाल होल्ड पर करने के मौखिक निर्देश जारी किए गए है। इन सबके बीच नई बात यह निकलकर सामने आई है कि एक तरफ प्रबंधन जनता के सामने अपने को जनहित में काम करते हुए दिखाने की पुरजोर कोशिश कर रहा है। दूसरी तरफ मुख्यालय से मंडल और खंड स्तर पर ठेकेदारों की बड़ी पेमेंट को रिलीज़ करने का दबाव बनाया जा रहा है। इस तरह के दबाव के पीछे मतलब साफ नजर आता है की सांठगांठ के खेल में जनता की परेशानी को भी दरकिनार करते हुए अपनी चांदी काटने का खेल हो रहा है। प्रबंधन के इस खेल को देखकर कुछ कर्मचारी नेता तो यहां तक कहते नज़र आए की अगर निगम की तरफ से 07 मई तक कर्मचारियों की तनख्वाह जारी नही की गई। तो फिर कर्मचारी संगठन 08 मई को अदालत का दरवाजा खटखटाने को मजबूर होंगे। जिसके पीछे एक बड़ा कारण पिछले कुछ महीनों में प्रबंध निदेशक अनिल कुमार के आदेश भी है, जिसमे नए लैपटॉप और मोबाइल खरीदने की बात कही गई और उन सबकी पेमेंट अभी तक अलग अलग माध्यम से हो रही है। प्रबंधन अगर मितव्यता को लेकर इतना गंभीर होता तो पहले से ही फिजूलखर्ची पर रोक लगाता, ना की नए नए आदेश जारी करता_ सूत्र