हरिद्वार जनपद के ग्रामीण इलाकों में बिजली कटौती से मिलेगी निजात, PTCUL ने चीला-नजीबाबाद 132 के वी लाइन को किया उर्जीकृत
पॉवर ट्रांसमिशन कारपोरेशन ऑफ उत्तराखण्ड लि० (पिटकुल) द्वारा जनपद हरिद्वार के पदार्था क्षेत्र में बढ़ती घरेलू एवं औद्योगिक विद्युत मॉग तथा 132 के0वी0 विभव के पारेषण तंत्र के सुदृढ़ीकरण हेतु 132 के0वी0 लिलो चिला-नजीबाबाद पारेषण लाईन को दिनांक 16/08/2022 को ऊर्जीकृत किया जा चुका है तदपश्चात् 132 के0वी0, 80 एम०वी०ए० क्षमता के उपसंस्थान पदार्था को सफलतापूर्वक दिनांक 29/08/2022 को ऊर्जीकृत किया गया है।
132/33 के0वी0 उपसंस्थान पदार्था हरिद्वार के ऊर्जीकरण के उपरान्त जनपद हरिद्वार के तहसील लक्सर तथा ज्वालापुर एवं समीपवर्ती क्षेत्र में घरेलू एवं उद्योगों हेतु उच्च गुणवत्ता की विद्युत आपूर्ति सुनिश्चित होगी। इसके अतिरिक्त 220के0वी उपसंस्थान ऋषिकेश एवं 220के0वी उपसंस्थान रोशनाबाद से जुड़े होने के कारण वोल्टेज की गुणवत्ता में भी गुणात्मक सुधार होगा। नवनिर्मित 132 के०वी० उपसंस्थान पदार्था के निर्माण से 33 के०वी० पथरी, पीपली, भटटीपुर, जगजीतपुर ट्रास्र्पोटनगर एवं पतंजलि फुड एवं हर्बल पार्क आदि पोषकों को निर्बाद विद्युत आपूर्ति सुनिश्चित होगी।132 / 33केवी उपसंस्थान पदार्थों हरिद्वार का निर्माण कार्य उच्च स्तरीय आधुनिकतम तकनीकी तथा भारतीय / अन्तराष्ट्रीय नवीनतम मानकों के आधार पर किया गया है। उपसंस्थान के पूर्णतया नियन्त्रण एवं निगरानी हेतु सबस्टेशन ओटोमेशन प्रणाली को स्थापित किया गया है। जिसकी सहायता से उपस्थान में हो रही सभी प्रकार की गतिविधियों को उपस्थान के नियन्त्रण कक्ष एवं देहरादून में स्थित प्रान्तीय भार निस्तारण केन्द्र से भी नियन्त्रण एवं निगरानी किये जाने की क्षमता है। सबस्टेशन ओटोमेशन प्रणाली की सहायता से उपसंस्थान में होने वाली किसी भी प्रकार की तकनीकी खराबी का पूर्व में ही अनुमान लगाया जा सकता है तथा भविष्य में होने वाली किसी भी प्रकार की तकनीकी खराबी की पुनरावृत्ति से भी बचा जा सकता है साथ ही साथ उपस्थान में होने वाले तकनीकी कार्यकलापों की लॉग फाईल एवं हिस्ट्री को भविष्य के तकनीकी विश्लेषण हेतु सहेज कर रखा जा सकता है।132/33केवी उपस्थान पदार्था हरिद्वार के उर्जीकरण हेतु 13.26 सर्किट किलोमीटर, 132 के०वी० लिलो चिला-नजीबाबाद लाईन का निर्माण किया गया है। 132 के0वी0 लिलो चिला-नजीबाबाद लाईन के निर्माण में पिटकुल द्वारा प्रथम बार 04 नग, 72 मी0 ऊंचे पारेषण टॉवरों को गंगा नदी की कॉसिंग करने हेतु स्थापित किया गया है जिनका डिजाइन नवीनतम भारतीय एवं अन्तराष्ट्रीय मानकों के आधार पर किया गया है। उपरोक्त टॉवरों का डिजाइन गंगा नदी के अधिकतम जल स्तर तथा क्षेत्र में अधिकतम हवा की गति को ध्यान में रखकर किया गया है। गंगा नदी की कॉसिंग जहां पर नदी के दोनों किनारों की विस्तृत लम्बाई लगभग 2.4 किलोमीटर है, हेतु 04 नग वेल फाउण्डेशन जिनका व्यास 12 मी0 एवं गहराई लगभग 19 मी0 है, का निर्माण किया गया है।