पर्यटन

नहीं होगी देवीधुरा की बगवाल

चम्पावत जिले में पहली बार नहीं होगी देवीधुरा की बगवाल।
-सिर्फ फर्रो के साथ परिक्रमा कर सांकेतिक रूप से होगी बगवाल।
-मां बाराही मंदिर समिति की बैठक में हुआ निर्णय।


चंपावत जिले के मां बाराही धाम देवीधुरा में इस बार लोग बगवाल के रोमांच के साक्षी नहीं बन सकेंगे। बगवाल हर साल रक्षाबंधन के दिन खेली जाती है और इस बार इसे 3 अगस्त को होना था। मगर कोरोना महामारी के खतरे के मद्देनजर अब न बगवाल खेली जाएगी और नहीं बगवाल मेला। बगवाली मेले के स्थान पर तय किया गया कि कई दशकों पुरानी धार्मिक मान्यताओं को निभाने के लिए सोशल डिस्टेंसिंग के साथ पूरा किया जाएगा। विधिवत पूजा-अर्चना होगी।

मंदिर समिति के अध्यक्ष खीम सिंह लमगडिय़ा ने बताया कि इस बार 3 अगस्त को होने वाला मुख्य मेला नहीं होगा। साथ ही बगवाल के दिन चार खाम (चम्याल, गहरवाल, लमगडिय़ा और वालिग) के योद्धा पांच से सात की संख्या में फर्रो के साथ प्रतीकात्मक बगवाल में शिरकत करेंगे। पूजा-अर्चना व मंदिर की परिक्रमा करने के बाद ये बगवाली वीर अपने घरों को चले जाएंगे। आजादी के बाद यह पहला अवसर होगा जब देवीधुरा की बगवाल पर ब्रेक लगेगा। चंपावत जिले में कोरोना के कारण अब तक कई धार्मिक आयोजन प्रभावित हो चुके हैं। जिसमें 11 मार्च से 15 जून तक प्रस्तावित मां पूर्णागिरि धाम का मेला 17 मार्च के बाद से पूरी तरह रद्द हुआ। 31 मार्च से दो अप्रैल तक गुमदेश का प्रस्तावित चैतोला मेला भी नहीं हो सका। अलबत्ता मंदिर की परंपरा को पूरा करने के लिए सिर्फ पुजारी व पंडित की मौजूदगी चमदेवल स्थित चौखाम बाबा मंदिर में पूजा-अर्चना कराई गई। रीठा साहिब का जोड़ मेला स्थगित हुआ। यह मेला तीन से पांच जून तक होना था। पांच जुलाई को होने वाले देवीधार महोत्सव में सांस्कृतिक और खेलकूद गतिविधियों को स्थगित कर दिया गया है।

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