उत्तराखंड में जल्द अस्तित्व में आ सकता है भू-कानून ! 23 जुलाई को समिति की अंतिम बैठक के बाद सरकार को सौंपी जा सकती है रिपोर्ट
उत्तराखंड प्रदेश में भू-कानून की मांग के साथ युवाओं ने आंदोलन चलाने का काम किया। वहीं धामी सरकार ने भी आम जनता और खास तौर पर युवाओं की मांग का संज्ञान लेते हुए भी कानून में संशोधन को लेकर उच्च स्तरीय समिति गठित करने का काम किया। जिसके बाद कई दौर की बैठकों में चर्चा, रिसर्च के बाद अब समिति ने रिपोर्ट तैयार कर ली है। समिति की 23 जुलाई को बैठक में इस रिपोर्ट पर अंतिम चर्चा के बाद इसे सरकार को सौंपने के संबंध में निर्णय लिया जा सकता है। मुमकिन है कि जुलाई के आखिर तक रिपोर्ट मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को सौंपी जाएगी। उत्तराखंड प्रदेश में वर्तमान भू-कानून के परीक्षण, अध्ययन और संशोधन के लिए पूर्व मुख्य सचिव सुभाष कुमार की अध्यक्षता में गठित उच्च स्तरीय समिति की 23 जुलाई को संभवत: अंतिम बैठक होगी।इससे पहले बीते माह भी समिति की बैठक हो चुकी है। बैठक में प्रदेश में वर्तमान भू-कानून को और सख्त बनाने पर मंथन किया गया था। साथ में प्रदेश में वर्ष 2003 के बाद भू-उपयोग में दी गई छूट से संबंधित जिलेवार रिपोर्ट का समिति परीक्षण कर चुकी है। इस बैठक के बाद समिति भू-कानून को लेकर अपनी रिपोर्ट तैयार कर चुकी है। इस रिपोर्ट पर कुछ बिंदुओं पर दोबारा मंथन का निर्णय लिया गया है। दरअसल, समिति भू-कानून के दुरुपयोग को लेकर चर्चा में आए कुछ बिंदुओं पर विचार कर रही है। समिति की ओर से भू-कानून के साथ नियमावली बनाने पर भी बल दिया गया है। साथ में हिमाचल की भांति उत्तराखंड में भू-कानून को लेकर भी समिति के सदस्य चर्चा करेंगे।