लोक संस्कृति की झलक देखनी है तो आइए जौनसार, लोक पंचायत सदस्य भारत चौहान की कलम से..
इस वीडियो में अपने पारंपरिक वेशभूषा में जो महानुभाव नृत्य करते हुए दिखाई दे रहे हैं यह गांव का कोई सामान्य किसान नहीं है, बल्कि उत्तराखंड सूचना एवं लोक संपर्क विभाग में संयुक्त निदेशक के पद पर कार्यरत जौनसार बावर के फटेऊ गांव के के एस चौहान जी है। लोक पंचायत के सदस्य एवं विधानसभा के पूर्व सूचना अधिकारी भारत चौहान का कहना है कि सरकारी सेवाओं की व्यस्तता के बावजूद भी आपकी हर शनिवार और रविवार की शाम गांव में बितती है। सामाजिक कार्य, कृषि और पशुपालन को बहुत करीब देखते ही नहीं बल्कि व्यवहार में जीते हैं और जब ऐसा होता है तभी हम अपने लोक संस्कृति, पारंपरिक वेशभूषा रीति-रिवाजों और त्यौहारो को जिंदा रख पाते हैं।
जौनसार बावर की लोक संस्कृति पर भारत चौहान ने कहा है कि लोक संस्कृति को जीवित रखने के लिए आज प्रदेश एवं केंद्र सरकार द्वारा अथक प्रयास किए जा रहे हैं। यदि मैं उत्तराखंड के जौनसार बावर की बात करूं तो यहां प्रत्येक व्यक्ति के अंदर लोक संस्कृति और कबड्डी का गुण जन्मजात हैl इन्हें सीखने के लिए कोई प्रशिक्षण नहीं लेना पड़ता l
एक समय था जब संध्या समय प्रत्येक गांव में लोक संस्कृति पर आधारित लोकगीत व नृत्य होते थे, तब टेलीविजन और मोबाइल का इतना दोर नहीं था और किसी ने ठीक ही कहा है कि संस्कृति जोड़ती है और राजनीति तोड़ती है। जब हम गीत की तांद में होते हैं तो वहां जातिवाद ऊंच-नीच का भेद नहीं होता वहां तो केवल कला का प्रदर्शन होता है। चौहान ने कहा कि पश्चिमी सभ्यता की के इस चकाचौंध में भी जौनसार बावर के लोग अपनी संस्कृति को जिंदा रखे हैं l लोक संस्कृति दो शब्दों से मिलकर बना है। लोक+संस्कृति। लोक का अर्थ जन समुदाय से है। संस्कृति का अर्थ सीखा गया वह व्यवहार जो पीढ़ी दर पीढ़ी हस्तांतरित होता है।