Sidcul घोटाले में कैसे खुलेगा भ्रष्टाचार का खेल, डीआईजी गढ़वाल के सख्त निर्देश के बाद भी जिलों से नहीं मिल रही रिपोर्ट
देहरादून। 2012 और 2017 के बीच हुए कथित सिडकुल घोटाले में देहरादून और ऊधमसिंहनगर जिलों की लेटलतीफी कम नहीं हुई है। चार साल बाद भी ये जिले 90 जांच फाइलों को दबाए बैठे हैं। कई बार अल्टीमेटम दिए जाने के बाद भी दोनों जनपद जांच रिपोर्ट भेजने में आनाकानी कर रहे है। कारण बताओ नोटिस भी जारी किया गया, लेकिन कोई वाजिब जवाब नहीं दिया गया। अब मुख्य जांच अधिकारी डीआईजी गढ़वाल रेंज ने 48 घंटे में इन दोनों जिलों के जांच अधिकारियों को तलब किया है। वर्ष 2012 से 2017 तक सिडकुल के कामों में अनियमितता सामने आई थी। जिसके बाद 2018 मे तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने sit जांच के आदेश किए। वहीं लंबा समय बीत जाने के बाद भी जॉच रिपोर्ट ना आने से sit ने स्थानीय अधिकारियों को 48 घंटे का समय दिया है। सिडकुल के कामों को स्थानीय कंपनियों से कराया जाना था। लेकिन उन्हें उत्तर प्रदेश की कंपनियों में बांट दिया गया। इस तरह जांच करते हुए सभी जिलों में 304 फाइलों में से 214 फाइलों का निपटारा कर लिया था। अब बची फाइलें केवल देहरादून और ऊधमसिंहनगर से ही संबंधित हैं। नवंबर 2020 से अब तक इन फाइलों के लिए जिले के अधिकारी तमाम बहाने बना रहे हैं। पिछले दिनों उन्हें 30 जून तक का समय दिया गया लेकिन टेक्निकल समिति ने अभी तक नहीं दी है रिपोर्ट। डीआईजी गढ़वाल रेंज ने पिछले दिनों दोनों जिलों को कारण बताओ नोटिस जारी किया था। इसके जवाब में दोनों ने ही एक जैसा जवाब दिया। बताया कि टेक्निकल समिति अपनी रिपोर्ट नहीं दे पा रही है। इसका भी कारण बताया कि कोरोना काल में टेक्निकल समिति को यह समस्या आ रही है। जबकि, कोरोना संकट इन दो जिलों में नहीं बल्कि पूरे भारत में चल रहा है। अन्य जनपदों ने भी समय से अपनी जांच पूरी कर फाइलों को तैयार कर लिया है।