Monday, May 20, 2024
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उत्तराखंड

स्थानीय महिलाओं को मिलने वाले 30% क्षैतिज आरक्षण पर हाईकोर्ट का स्टे, राज्य आंदोलनकारियों ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से विधेयक लाने की उठाई मांग

उत्तराखंड हाईकोर्ट से बड़ी खबर सामने आई है। नैनीताल हाईकोर्ट ने हरियाणा की पवित्रा चौहान समेत अन्य की याचिका पर सुनवाई करते हुए उत्तराखंड लोक सेवा आयोग की लोअर पीसीएस परीक्षा में उत्तराखंड की महिला अभ्यर्थियों को 30 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण देने के 2006 के शासनादेश पर रोक लगा दी है।

याचिकर्ताओं के अनुसार आयोग ने विभिन्न विभागों में 200 से अधिक पदों के लिए 26 मई को प्रारंभिक परीक्षा का परिणाम घोषित किया था, जिसमें अनारक्षित श्रेणी की दो कट आफ लिस्ट जारी की गई। उत्तराखंड मूल की महिला अभ्यर्थियों की कट आफ 79 थी, जबकि याचिकाकर्ता को 79 से अधिक अंक मिलने के बावजूद अयोग्य घोषित किया गया। जिसके बाद नैनीताल हाईकोर्ट ने याचिका दाखिल की गई। वहीं या याचिका पर सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति विपिन सांघी व न्यायमूर्ति आरएस खुल्बे की खंडपीठ ने उत्तराखंड की महिला अभ्यर्थियों को 30 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण देने के 2006 के शासनादेश पर रोक लगा दी है। साथ ही यूकेपीएससी को याचिकाकर्ताओं को आयोग की मुख्य परीक्षा में बैठने की अनुमति देने को कहा है।

दूसरी तरफ उच्च न्यायालय का फैसला आने के बाद राज्य आंदोलनकारियों ने आपात बैठक कर सरकार से जल्द निर्णय लेने की मांग की है। राज्य आंदोलनकारियों का कहना है कि प्रदेश में स्थानीय महिलाओं को मिलने वाले 30% आरक्षण को समाप्त करने के हाईकोर्ट के आदेश को देखकर उन्हें काफी अचरज हुआ है और दुख भी है।

जगमोहन सिंह नेगी और प्रदीप कुकरेती के साथ द्वारिका बिष्ट ने कहा कि जिन महिलाओं के त्याग संघर्ष और बलिदान देने के बाद इस पृथक राज्य की परकल्पना पूरी हुई और आज हमारी मातृ शक्ति को ही सरकार और न्यायालय दर किनार कर रहे है।

राज्य आंदोलनकारी मंच ने सरकार से पुरजोर मांग करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी जल्द से जल्द महिलाओं के लिए 30% आरक्षण का विधेयक लेकर आएं अन्यथा राज्य आंदोलनकारी जल्द सड़को पर आने को मजबूर होंगे। सुलोचना भट्ट एवं प्रभा शकुंतला नेगी ने सरकार से सवाल किया कि अपने ही प्रदेश में हमारे राज्य आंदोलनकारियों की उपेक्षा क्यों और विशेषकर प्रदेश की महिलाओं को हाशिए पर रख दिया गया। अत जल्द ही इस विषय पर विधानसभा सत्र बुलाए और तत्काल विधेयक पास करे। रामलाल खंडूड़ी एवं बीर सिंह रावत ने सभी जनप्रतिनिधियों से मांग की है कि आप सभी स्वय से पहल कर सरकार को महिलाओं के सम्मान में इस आदेश के परिपेक्ष में नियम कायदे बनाए।

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