Thursday, May 9, 2024
Latest:
उत्तराखंड

Exclusive: इनकी भी एक बार जांच पड़ताल करा लीजिए सीएम साहब ? UPCL में कैसे एक कर्मचारी पिछले 32 साल से एक ही कुर्सी पर है जमा, प्रमोशन होने के बाद भी क्यों नही किया गया तबादला, शासन के नियमो की धज्जियां उड़ाने वाला कौन है दोषी ??

देहरादून। शासन के आदेशों की कैसे धज्जियां उड़ाई जाती है, इसकी बानगी उत्तराखंड पावर कार्पोरेशन लिमिटेड के आदेशों में साफ तौर पर देखी जा सकती है। धामी सरकार की बात हो या फिर खुद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की, जो लगातार प्रदेश में जीरो टॉलरेंस और भ्रष्टाचार मुक्त सरकार देने का दावा कर रहे है। लेकिन खुद उनके ही अधिकारी शासन के बनाए नियमों को तार तार करने का काम कर रहे है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ऊर्जा विभाग के विभागीय मंत्री भी है। वहीं ऊर्जा विभाग में यूपीसीएल के चर्चित एमडी बेधड़क व बेखौफ होकर माननीय सर्वोच्च न्यायालय व उच्च न्यायालयों की गाइड लाइन एवं सेवा नियमावली में निहित पदोन्नति की शर्तों और दस दिनों के अंदर ज्वाइनिंग न करने वाले कार्यालय अधीक्षक पर बजाए एक्शन करने के उल्टा मेहरबान हैं।

विभागीय कागजात और सूत्रो की माने तो उत्तराखंड पावर कारपोरेशन के विद्युत वितरण खंड (ग्रामीण) देहरादून में अपनी लगभग 32 साल पुरानी नियुक्ति से अब तक शुरू से ही निविदाओं जैसे मलाईदार कुर्सी को पकड़े बैठे एक सहायक से चार चार प्रमोशन पा चुके प्रशस्त भारत नौटियाल ने विगत 3 अप्रैल को कार्यालय अधीक्षक प्रथम के पद पर पदोन्नति भी ले ली और पदोन्नति से सम्बंधित कार्यालय ज्ञाप संख्या 1078 के अनुपालन का दबंगई से उल्लंघन करते हुये दस दिनों के अन्दर नवीन तैनाती स्थल‌ नगरीय विद्युत वितरण मंडल देहरादून रास न आने के कारण या फिर मनचाहा न होने के फलस्वरूप “सैंया भरे कोतवाल तो डर काहे…” की कहावत को चरितार्थ करते हुए 18 दिनों बाद एमडी यूपीसीएल से पुनः कार्यालय ज्ञाप संख्या 1262 दिनांकित 21अप्रैल,2023 जारी करवाने में सफलता हासिल कर कीर्तिमान स्थापित कर लिया तथा उसी दिन ज्वाइनिंग भी देकर एक कार्यालय में दो दो अधीक्षक की परिपाटी डाल दी।

पूरी खबर में बड़ी बात यह नहीं है कि प्रशस्त भारत नौटियाल ने तैनाती मनचाही करा ली है। आश्चर्य तो इस बात का जब एमडी की ट्रान्सफर पावर ही शासन द्वारा प्रतिबंधित चल रही हैं तो ऐसे में इस खास पर मेहरबानी क्यों की गई ? क्या शासन के निर्देशों और अपने पूर्व के आदेश एवं पदोन्नति के नियमों का उल्लंघन उचित है? साथ में खास बात तो यह भी है 32 वर्षों तक एक ही डिवीजन में कैसे प्रशस्त भारत नौटियाल की तैनाती रही और किस नियम के अन्तर्गत एक के बाद एक चार चार पदोन्नतियां मिलती रहीं ? दूसरी बड़ी बात प्रमोशन के बाद एक बार फिर से एमडी ने प्रशस्त भारत नौटियाल की नियुक्ति फिर वहीं कर दी जहां पहले से ही एक कार्यालय अधीक्षक तैनात है। जहां तक विभाग से जानकारी मिली है कि एक कार्यालय में दो दो कार्यालय अधीक्षक की तैनाती कहीं से भी उचित नहीं है। कैसे होगा काम और किस पर पड़ेगा यह अतिरिक्त बोझ ? क्या पदोन्नति पत्र के उल्लंघन पर पदोन्नति निरस्त नहीं होनी चाहिए और एमडी महोदय को एक्शन नहीं लेना चाहिए था? एक्शन तो कहीं भी प्रतिबंधित नहीं था, स्थानांतरण प्रतिबंधित अवश्य था, फिर यह सब खेल किसकी शह पर खेलें जा रहें हैं। इसकी जांच होना बेहद ही जरूरी है वो भी तब जब शासन बार बार एमडी की पावर पर प्रश्नचिन्ह लगा रहा हो।।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *