Wednesday, May 1, 2024
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उत्तराखंड

इलेक्ट्रिसिटी अमेंडमेंट बिल के विरोध में मुखर हुए बिजली कर्मचारी, देहरादून से लेकर दिल्ली तक विरोध प्रदर्शन को लेकर बनी रणनीति

इंस्टीट्यूटशन आफ इंजीनियर्स (इंडिया) देहरादून के सभागार में *इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट) बिल 2022 व निजीकरण के विरोध तथा पुरानी पेंशन बहाली हेतु विद्युत अधिकारी कर्मचारी संयुक्त संघर्ष मोर्चा के द्वारा बिजली कर्मचारियों व इंजीनियरों का 23 नवम्बर को दिल्ली में विशाल प्रदर्शन की तैयारी के लिए एक सेमिनार एवं जन जागरण कार्यक्रम आयोजित किया गया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि एवं वक्ता के रूप में ऑल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन के चेयरमैन ई. शैलेंद्र दूबे ने कहा कि इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट) बिल २०२२ पारित होने के उपरांत आम उपभोक्ताओं एवं किसानों को बिजली बिलों में होने वाली समस्याओं के बारे में विस्तारपूर्वक जानकारी दी। उन्होंने आगाह किया कि बिल पारित कराने की कोई भी एकतरफा कार्यवाही हुई तो देश भर के बिजली कर्मी हड़ताल पर जाने हेतु बाध्य होंगे।

कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के रूप में पधारे आल इंडिया फ़ेडरेशन आफ पावर डिप्लोमा इंजीनियर्स के राष्ट्रीय महासचिव ई. अभिमन्यु धनकड ने कहा कि वर्तमान अमेंडमेंट बिल के द्वारा पावर सेक्टर की अरबों खरबों की सार्वजनिक सम्पत्ति को कोड़ियों के दाम निजी हाथों को सौंपे जाने की तैयारी की जा रही है। जिससे देशभर के आम उपभोक्ताओं को बिजली बिल में महंगाई का सामना करना पड़ेगा।

कार्यक्रम में संयुक्त मोर्चा के समस्त घटक संगठनों द्वारा प्रदेश भर के सदस्यों को २३ नवंबर को नई दिल्ली के रामलीला मैदान से संसद भवन तक आयोजित रैली में प्रतिभाग करने हेतु आवाहन किया गया।

इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट) बिल 2022 के विरोध में तथा पुरानी पेंशन की बहाली हेतु, बिजली कंपनियों के एकीकरण हेतु तथा आउटसोर्सिंग समाप्त कर संविदा कर्मियों को नियमित करने हेतु बिजली कर्मचारियों और इंजीनियरों का 23 नवंबर को दिल्ली में विशाल प्रदर्शन व रैली होगी। रैली दिल्ली के रामलीला मैदान से प्रारंभ होकर जंतर मंतर तक जाएगी।

ऑल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन के चेयरमैन शैलेन्द्र दुबे ने यहां बताया कि लोकसभा ने इलेक्ट्रीसिटी (अमेंडमेंट) बिल 2022 को संसद की ऊर्जा मामलों की स्टैंडिंग कमेटी को भेज दिया है किन्तु स्टैंडिंग कमेटी ने अभी तक बिजली कर्मचारियों और आम उपभोक्ताओं से इस पर कोई चर्चा नही की है।उन्होंने कहा कि बिजली कर्मचारियों और इंजीनियरों को विश्वास में लिए बिना इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट) बिल 2022 को संसद में पारित कराने की किसी भी एक तरफा कार्यवाही का कड़ा विरोध किया जाएगा और देश के तमाम 27 लाख बिजली कर्मचारी व इंजीनियर ऐसे किसी भी कदम के विरोध में राष्ट्रव्यापी हड़ताल करने हेतु बाध्य होंगे।उन्होंने बताया कि दिल्ली रैली के पहले बिजली कर्मचारियों और इंजीनियरों की देश भर में विभिन्न प्रान्तों में सम्मेलन चल रहे हैं।

ऑल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन ने देश के सभी मुख्यमंत्रियों को पत्र भेजकर यह अपील की है कि ऊर्जा क्षेत्र और बिजली उपभोक्ताओं के व्यापक हित में वे इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट) बिल 2022 का पुरजोर विरोध करें।

ऑल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन के चेयरमैन शैलेंद्र दुबे ने बताया कि विगत वर्ष किसान आंदोलन के बाद केंद्र सरकार ने संयुक्त किसान मोर्चा को प्रेषित पत्र में यह लिखित आश्वासन दिया है कि इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट) बिल 2022 सभी स्टेकहोल्डर्स को बिना विश्वास में लिए और सभी स्टेकहोल्डर्स से बिना चर्चा किए संसद में नहीं रखा जाएगा। उन्होंने कहा कि बिजली के क्षेत्र में सबसे बड़े स्टेकहोल्डर बिजली के उपभोक्ता और बिजली के कर्मचारी हैं। केंद्र सरकार ने और केंद्रीय विद्युत मंत्रालय ने आज तक न ही बिजली के उपभोक्ता संगठनों से और न ही बिजली कर्मचारियों के किसी भी संगठन से इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट) बिल 2022 के माध्यम से प्रस्तावित संशोधनों पर कोई वार्ता की है।

अतः यदि बिजली कर्मचारियों को विश्वास में लिए बिना इस बिल को संसद में रखा जाता है तो यह सरकार के लिखित आश्वासन का खुला उल्लंघन होगा और इसका पुरजोर विरोध किया जाएगा ।

केंद्रीय विद्युत मंत्री आर के सिंह के बयान को भ्रामक और जनता के साथ धोखा बताते हुए उन्होंने कहा की इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट) बिल 2022 के जरिए उपभोक्ताओं को चॉइस देने की बात पूरी तरह गलत है। दरअसल इस संशोधन के जरिए केंद्र सरकार बिजली वितरण हेतु निजी घरानों को सरकारी बिजली वितरण के नेटवर्क के जरिए बिजली आपूर्ति करने की सुविधा देने जा रही है। बिजली के सरकारी निगमों ने अरबों खरबों रुपए खर्च करके बिजली के ट्रांसमिशन और डिस्ट्रीब्यूशन का नेटवर्क खड़ा किया है और इसके अनुरक्षण पर सरकारी निगम प्रति माह करोड़ों रुपए खर्च कर रहे हैं ।इस बिल के जरिए इस नेटवर्क के उपयोग की छूट निजी घरानों को देने की सरकार की मंशा है।

जहां तक यह सवाल है कि इससे उपभोक्ताओं को चॉइस मिलेगा यह पूरी तरह गलत है क्योंकि इस बिल के अनुसार यूनिवर्सल सप्लाई ऑब्लिगेशन अर्थात सबको बिजली आपूर्ति करने की अनिवार्यता केवल सरकारी निगमों की होगी। निजी क्षेत्र की बिजली कंपनियां सरकारी नेटवर्क का इस्तेमाल कर केवल मुनाफे वाले इंडस्ट्रियल और कमर्शियल उपभोक्ताओं को ही बिजली देगी। इस प्रकार घाटे वाले घरेलू उपभोक्ताओं और ग्रामीण क्षेत्र के उपभोक्ताओं को बिजली देने का काम केवल सरकारी बिजली वितरण कंपनी के पास रहेगा। इससे सरकारी क्षेत्र की बिजली वितरण कंपनियां आर्थिक रूप से पूरी तरह कंगाल हो जाएगी और उनके पास बिजली खरीदने के लिए भी आवश्यक धनराशि नहीं होगी ।

उन्होंने आगे बताया कि इस अमेंडमेंट बिल के जरिए किसी भी प्रकार आम उपभोक्ता के लिए बिजली सस्ती नहीं होने वाली है ।इसका मुख्य कारण यह है कि बिजली की लागत का 80 से 85% बिजली खरीद का मूल्य होता है और बिजली खरीद के करार 25- 25 वर्ष के लिए पहले से ही चल रहे हैं ।अतः बिजली खरीद के मूल्य में कोई कमी नहीं आने वाली है। साफ है कि कंपटीशन की बात कह कर जनता को धोखा दिया जा रहा है।

उन्होंने कहा कि इलेक्ट्रीसिटी एक्ट 2003 में कोई नया संशोधन करने के पहले उड़ीसा के निजीकरण की विफलता और देश के कई स्थानों पर निजी क्षेत्र को दिए गए विद्युत वितरण के फ्रेंचाइजी की विफलता का सम्यक विश्लेषण किया जाना जरूरी है। निजी क्षेत्र के फ्रेंचाइजी मुनाफे वाले शहरी क्षेत्र में भी विफल साबित हुए हैं।

कार्यक्रम में संयुक्त मोर्चा के समस्त घटक संगठनों के विभिन्न पदाधिकारी सम्मिलित हुए। मोर्चा के संयोजक इंसारूल हक़ एवं ई. कार्तिकेय दूबे, ई. अमित रंजन, ई. रविन्द्र सैनी, ई. पवन रावत, प्रदीप कंसल, केहर सिंह, ई. पंकज सैनी, ई. भानू जोशी, ई. राजबीर, ई. बबलू सिंह, विनोद कवि आदि उपस्थित रहे।

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