Saturday, April 27, 2024
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उत्तराखंड

प्रदेश में स्टेट हेल्थ इमरजेंसी’ (स्वास्थ्य आपातकाल) घोषित किये जाने की जरूरत – कांग्रेस, क्या प्रधानों को कोविड-19 वैक्सीन लगाने में प्राथमिकता दी जाएगी – प्रदेश अध्यक्ष, उत्तराखंड में कोरोना मृत्यु दर शर्मनाक रूप से राष्ट्रीय औसत से अधिक होना सरकार की विफलता का प्रमाण : प्रीतम सिंह

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रीतम सिंह ने मुख्‍यमंत्री तीरथ सिंह रावत पर निशाना साधते हुए कहा,” प्रदेश में स्वास्थ्य व्यवस्था पूरी तरह चरमरा चुकी है, सरकार और सरकारी तंत्र पूरी तरह बेपटरी हो चुका है और आज प्रदेश में हालात इस कदर खराब हैं कि ‘स्टेट हेल्थ इमरजेंसी’ (स्वास्थ्य आपातकाल) घोषित किये जाने की जरूरत है।” प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय से जारी बयान में प्रीतम सिंह ने कहा कि प्रदेश में तीरथ सिंह रावत की सरकार कोरोना महामारी की रोकथाम और संक्रमित मरीजों को समुचित इलाज दे पाने में पूरी तरह विफल साबित हुई है। प्रीतम सिंह ने चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि स्थितियों की गंभीरता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि राज्य में कोरोना से होने वाली मौतों की दर देश के राष्ट्रीय औसत से भी अधिक पहुंच गई है। रिकवरी रेट में 23 प्रतिशत की गिरावट आई है तथा मौतों का सिलसिला रुकने का नाम नहीं ले रहा है। प्रीतम सिंह ने राज्य सरकार पर निशाना साधते हुए कहा, ‘‘प्रदेश सरकार को सलाह दी गई थी कि जांच बड़े पैमाने पर बढ़ायी जाए। क्या हुआ?’’ मौतें बढ़ रहीं हैं, संक्रमण बढ़ रहा है पर पिथौरागढ़ में कोरोना का परीक्षण 1 लाख में सिर्फ और सिर्फ 48 किया गया। इसी से पता चलता है की कितनी संवेदनशील सरकार है. उन्होंने यह आरोप भी लगाया कि पूरा संसाधन लोगों का जीवन बचाने पर लगाने की बजाय प्रदेश सरकार सच्चाई को ढंकने और पुराने TSR के फोटो छिपाने के लिए अब भी समय और संसाधन बर्बाद कर रही है। उन्‍होंने कहा,”कोरोना संक्रमित मरीज प्रदेश के अस्पतालों में एक-एक बेड और ऑक्सीजन के लिए तड़प रहे हैं, रेमडेसिविर इंजेक्शन की व्यापक तौर पर काला बाजारी हो रही है, वेंटीलेटर और जरूरी चिकित्सा के अभाव में असमय लोगों की जान जा रही हैं। इसके बाद भी सरकार मौत के मातम, चीखते-बिलखते परिवारजनों, चिताओं से उठते धुएं के बावजूद संक्रमण की विभीषिका और हो रही मौतों को रोकने के लिए पूरी तरह गंभीर नहीं दिखाई दे रही है।” प्रीतम सिंह ने यह भी कहा की मुख्यमंत्री ने ग्राम प्रधानों को ही गांवों में कोरोना सेंटर के संचालन का दायित्व सौंप दिया है। इस पर मुख्यमंत्री स्पष्ट करें की इस फैसले को लेकर उन्होंने क्या योजना बनाई है. क्या प्रधानों को कोविड-19 वैक्सीन लगाने में प्राथमिकता दी जाएगी ? क्या उनको बीमाकृत भी किया जाएगा ? प्रदेश अध्यक्ष ने कोरोना सुरक्षा प्रबंधन पर भाजपा सरकार को आड़े हाथों लेते हुए टिप्पणी की, कि ‘आपदा में अवसर’ व जलती चिताओं के बीच उत्सव मनाने वाली इस सरकार को जन जीवन सुरक्षा की कोई फिक्र नहीं है। कोरोना सुरक्षा में हुई आर्थिक धांधली को हमने सदन के समक्ष रखा था। बाद में स्वयं भाजपा के विधायक ने मास्क घोटाले की बात स्वीकार की। राज्य में बेड, ऑक्सीजन, वैक्सीन व समस्त आवश्यक चिकित्सकीय सुविधाओं का अभाव है।यही नहीं कहीं-कहीं तो बेड डम्प पड़े हैं और मरीज सड़कों में दम तोड़ रहे हैं। ऑक्सीजन की कमी के चलते मरीज एक-एक सांस के मोहताज हो चुके हैं। ऐसे विपद काल में कांग्रेस एक सार्थक विपक्ष की भूमिका निभाते हुए सरकार के सहयोग को तत्पर है परन्तु प्रदेश सरकार कोरोना को लेकर अभी भी असंवेदनशील बनी हुई है।

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