Saturday, April 27, 2024
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भारत की स्थिति मजबूत, युद्ध हुआ तो मात खाएगा चालबाज चीन

भारत की स्थिति मजबूत, युद्ध हुआ तो मात खाएगा चालबाज चीन

नई दिल्ली। गलवन में भारत और चीन के सैनिकों के बीच हिंसक झड़प के बाद दोनों देशों के बीच युद्ध की आशंका जताई जा रही है। दोनों ओर से आक्रामक बयानबाजी के बीच एक अध्ययन सामने आया है, जिसमें बताया गया है कि चीन के मुकाबले में भारत की रक्षा स्थिति ज्यादा मजबूत है। हार्वर्ड विश्वविद्यालय के हालिया अध्ययन में कहा गया है कि 1962 की तुलना में भारत को चीन के खिलाफ पारंपरिक लाभ है।

हार्वर्ड केनेडी स्कूल के बेलफर सेंटर फॉर साइंस एंड इंटरनेशनल अफेयर्स द्वारा प्रकाशित शोध पत्र में भारतीय और चीनी रणनीतिक क्षमताओं के तुलनात्मक आंकड़ों का विश्लेषण किया है। अध्ययन में दोनों देशों की परमाणु क्षमताओं, थल और वायु सेनाओं को ध्यान में रखा गया है। जिनका उपयोग वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर किया जा सकता है।

विशेषज्ञों का अनुमान, शांतिपूर्ण समाधान की कम संभावना रू डोकलाम संकट ने दोनों देशों के अधिकारियों और विशेषज्ञों को आत्मनिरीक्षण के लिए प्रेरित किया था। राजनीतिक रूप से, दोनों देशों ने निष्कर्ष निकाला कि सीमा विवादों के शांतिपूर्ण समाधान की संभावना अब कम है, जिससे प्रतिद्वंद्विता बढ़ने का अनुमान लगाया जा सकता है। कुल मिलाकर, अनुमानित 104 चीनी मिसाइलें भारत के सभी या कुछ हिस्सों पर हमला कर सकती हैं। इनमें लगभग एक दर्जन डीएफ -31 ए और छह से बारह डीएफ -31 मिसाइलें शामिल हैं जो भारतीय भूमि के सभी प्रमुख लक्ष्यों तक पहुंचने में सक्षम हैं। एक दर्जन और डीएफ-21 मिसाइलों से दिल्ली को खतरा है। वहीं चीन ने समय के साथ अधिक सड़क-मोबाइल मिसाइलों को तैनात किया है, इसलिए चीन के अंदर से भारत की सीमा के भीतर मिसाइलों को स्थानांतरित करना उसके लिए और आसान होगा।

उधर, भारत ने अपने परमाणु हथियारों को बमवर्षक विमानों और भूमि आधारित मिसाइलों के जरिए तैयार रखा है। जगुआर आइएस के दो स्कवाड्रन और मिराज 2000 एच लड़ाकू विमानों के एक स्कवाड्रन के कुल 51 विमान परमाणु हमले के लिए तैयार हैं। परमाणु हथियारों से लैस इन विमानों के तिब्बत तक पहुंचने की सबसे अधिक संभावना है। हालांकि, यह निश्चित है कि तिब्बत से चीन में गहराई तक आगे बढ़ने से पहले उनकी पहचान की जाएगी और हवाई हमले से रोका जाएगा।

मुकाबले में भारत की स्थिति बेहतर रू इस शोध के लेखकों फ्रैंक ओ डोनेल और एलेक्स बोलफ्रास का आकलन है कि चीन के खतरों और हमलों के जवाब में भारत पारंपरिक लाभ की स्थिति में है। भारत को चीन के खिलाफ अपनी सैन्य स्थिति पर विश्वास है। चीन से मुकाबले के लिए भारत की थल सेना उत्तरी, मध्य और पूर्वी कमांड में, जबकि एयर फोर्स पश्चिम, मध्य और पूर्वी वायु कमांड में संगठित है। अनुमान है कि चीन से लगती सीमा के पास भारतीय सेना के हमलावर बल की संख्या करीब सवा दो लाख है। इनमें से लद्दाख में 3 हजार कर्मी टी-72 टैंक ब्रिगेड और करीब एक हजार कर्मी अरुणाचल प्रदेश में ब्रह्मोस मिसाइल रेजीमेंट में हैं। वहीं इंडियन एयरफोर्स के 270 लड़ाकू विमान और 68 अटैक एयरक्राफ्ट चीन से लगती सीमा पर मौजूद हैं। भारतीय सेना और एयरफोर्स चीनी सीमा के करीब हैं, जिससे कम समय में कदम उठाए जा सकते हैं।

मुश्किलों से घिरा चीन रू अनुमान है कि चीन के करीब 2 से सवा दो लाख सैनिक पश्चिमी थिएटर कमांड में हैं, जो कि तिब्बत और शिनजियांग जिलों में हैं। यद्यपि यह संख्या भारत की सेना के बराबर लगती है, लेकिन यह पूरी तरह से भ्रामक है। यदि भारत से युद्ध होता है तो इसका एक हिस्सा उपलब्ध नहीं होगा, जो कि या तो रूस की सीमा पर है या फिर शिनजियांग और तिब्बत में विद्रोह को कुचलने में लगा है। दूसरी ओर चीन का जे-10 विमान भारत के मिराज-2000 की बराबरी का है, लेकिन सुखोई-30एमकेआइ चीन के सभी विमानों से बेहतर है। वहीं बहुत ऊंचाई वाले इन इलाकों में लड़ना चीन के विमानों के लिए मुश्किल चुनौती साबित होगा।

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