Monday, October 7, 2024
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उत्तराखंड

स्वास्थ्य मंत्री ने वर्ष 2025 से पूर्व सूबे में क्षय रोग के खात्मे का दिया लक्ष्य, टी.बी. उन्मूलन एवं जागरूकता संबंधी लघु फिल्म का किया अनावरण

देहरादून । सूबे को क्षय रोग से मुक्त करने एवं जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से निर्मित लघु फिल्म का आज सूबे के चिकित्सा स्वास्थ्य मंत्री डा. धन सिंह रावत द्वारा अनावरण किया गया। लघु फिल्म में टी.बी. के उपचार एवं समाधान के बारे में जानकारी प्रदान की गई हैं। केंद्र सरकार द्वारा वर्ष 2025 तक टी.बी. मुक्त भारत की परिकल्पना के क्रम में उत्तराखंड से क्षय रोग के खात्में के लिए लक्ष्य निर्धारित किया गया। उन्होंने बताया कि सरकार द्वारा निःक्षय पोषण योजना के अंतर्गत उपचार की अवधि तक क्षय रोगियों को पोषाहार हेतु प्रत्येक माह डी.बी.टी. के माध्यम से रू0 500 उपलबध कराये जा रहे हैं। जिस तहत 1 अप्रैल 2018 से माह जुलाई 2021 तक रू. 16 करोड़ 90 लाख की धनराशि मरीजों के खातों में भेजी जा चुकी है। चिकित्सा स्वास्थ्य मंत्री डा. धन सिंह रावत ने कैम्प कार्यालय में क्षय रोग उन्मूलन कार्यक्रम के अंतर्गत राज्य टी.बी. अनुभाग एवं सूचना विभाग के सहयोग से बनाई गई ‘टी.बी. उपचार एवं समाधान’ लघु फिल्म का आनलाइन अनावरण किया। लघु फिल्म लांचिंग अवसर पर डा. रावत ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा वर्ष 2025 तक टी.बी. मुक्त भारत के निर्धारित लक्ष्य से पूर्व उत्तराखंड से क्षय रोग के खात्में के लिए विभागीय अधिकारियों को सघन अभियान संचालित करने के निर्देश दिये गये हैं। डा. रावत ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा टी.बी. रोगियों को निःशुल्क जांच, उपचार, दवाईयां उपलब्ध कराई जा रही है। इसके अलावा रोगियों को उपचार अवधि के दौरान पोषाहार हेतु प्रत्येक माह डीबीटी के माध्यम से रूपये 500 की राशि उपलब्ध कराई जा रही है। निःक्षय पोषण योजना के अंतर्गत 1 अप्रैल 2018 से माह जुलाई 2021 तक 16 करोड़ 90 लाख की धनराशि डीबीटी के माध्यम से मरीजों को दी जा चुकी है। लघु फिल्म लांचिंग अवसर पर मिशन निदेशक एनएचएम सोनिका ने बताया कि राज्य में टी.बी. उन्मूलन कार्यक्रम के अंतर्गत क्षय रोग जांच एवं उपचार हेतु 13 जिला क्षय नियंत्रण केन्द्र, 95 टी.बी. यूनिट एवं 154 जांच केन्द्र स्थापित किये गये हैं। जहां भारत सरकार के दिशा-निर्देशों के अंतर्गत क्षय रोगियों का उपचार डेली रेजिमेन पद्धति के द्वारा किया जाता है। उन्होंने बताया कि डीआरटीबी (ड्रग रेसिस्टेंस ट्यूबरक्लोसिस) रोगियों के निदान हेतु पीएमडीटी कार्यक्रम चलाया जा रहा है। ऐसे रोगियों के ईलाज हेतु हिमालयन इंस्टीट्यूट मेडिकल कॉलेज जौलीग्रांट एवं राजकीय मेडिकल कॉलेज हल्द्वानी मे डीआरटीबी साइट स्थापित हैं। महानिदेशक स्वास्थ्य डा. तृप्ति बहुगुणा ने बताया कि राज्य में टी.बी. उन्मूलन कार्यक्रम का लाभ लगातार टी.बी. रोगियों को मिल रहा है। उन्होंने बताया कि सूबे में 12289 टी.बी. रोगी चिह्नित किये गये हैं। जिनमें अल्मोड़ा में 355, बागेश्वर में 194, चमोली में 246, चम्पावत में 124, देहरादून में 2824, पौड़ी में 652, हरिद्वार में 2742, नैनीताल में 1975, पिथौरागढ़ में 282, रूद्रप्रयाग में 177, टिहरी में 258, यूएसनगर में 2058, उत्तरकाशी में 402 टी.बी. रोगी है। इस अवसर पर एसटीओ डा. मयंक बडोला, अनिल सती सहित वर्चुअल माध्यम से मिशन निदेशक एनएचएम सोनिका, स्वास्थ्य महानिदेशक तृप्ति बहुगुणा, सभी जनपदों के क्षय रोग अधिकारी एवं अन्य सामाजिक संगठनों से जुड़े प्रतिनिधि ने प्रतिभाग किया।

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