Friday, October 4, 2024
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आपकी सोच से भी कहीं अधिक है पूरी दुनिया में रिफ्यूजी, नंबर जानकर रह जाएंगे हैरान

आपकी सोच से भी कहीं अधिक है पूरी दुनिया में रिफ्यूजी, नंबर जानकर रह जाएंगे हैरान

न्‍यूयॉर्क (संयुक्‍त राष्‍ट्र)। संयुक्‍त राष्‍ट्र के मुताबिक पूरी दुनिया में करीब आठ करोड़ लोग रिफ्यूजी हैं। वर्ष 2019 में विभिन्‍न हालातों की वजह से करीब एक करोड़ लोग अपना घर छोड़कर दूसरी जगह बसने को मजबूर हुए हैं। यूएन का ये आंकड़ा बेहद चैंकाने वाला है। संयुक्‍त राष्‍ट्र के महासचिव एंटोनिया गुटेरेस ने दुनियाभर में फैले इन शरणाथिर्यों के प्रति दुनिया के देशों और लोगों का ध्‍यान दिलाते हुए इनके अधिकारों की रक्षा करने की अपील की है।

संयुक्‍त राष्‍ट्र महासचिव का कहना है कि इन लोगों के सामने केवल आर्थिक संकट ही नहीं है बल्कि अपनी और अपने परिवार की पहचान बचाए रखने का भी बड़ा भारी संकट है। ये लोग किसी न किसी कारण से अपना घर अपना देश छोड़ने पर मजबूर हुए हैं। इनका दर्द शब्‍दों में बयां करना मुश्किल है लेकिन इसको महसूस जरूर किया जा सकता है।

वर्ल्‍ड रिफ्यूजी डे के मौके पर गुटेरेस ने इस सभी अधिकारों की रक्षा करने के लिए देशों और नागरिकों का आह्वान किया है। उन्‍होंने कहा है कि वे उन लोगों और उन देशों का धन्‍यवाद अदा करते हैं जिन्‍होंने इन लोगों को अपने यहां पर शरण दे रखी है। संयुक्‍त राष्‍ट्र इनके प्रति अपना आभार व्‍यक्‍त करता है। उनके मुताबिक इन लोगों को हम सभी के सपोर्ट की जरूरत है।

उन्‍होंने कहा कि वर्ल्‍ड रिफ्यूजी डे (ॅवतसक त्मनिहमम क्ंल 2020) के मौके पर हमारी कोशिश होनी चाहिए कि हम दुनिया में चल रहे विवादों और तनाव को खत्‍म करने का प्रण लें जिसकी वजह से इन लोगों को अपनी जमीन छोड़नी पड़ी है। उनका कहना था कि हमें पूरी ताकत विवादों को खत्‍म करने में लगानी चाहिए। गुटेरेस ने कहा कि कोविड-19 महामारी के दौरान इन शरणार्थियों के बीच इस बीमारी का प्रसार न हो इसको लेकर व्‍यापक पैमाने पर उपाय और कोशिश करने की जरूरत है।

बांग्‍लादेश से लेकर यूरोप के अंदर बने शरणार्थी कैंपों में रह रहे शरणार्थी कहीं डॉक्‍टर की भूमिका में तो कहीं नर्स की भूमिका में भी काम कर रहे हैं। ये दूसरों की मदद करने में लगे हैं और उन्‍हें बचाने में लगे हैं। इन लोगों के प्रति हमारा भी ये कर्तव्‍य है कि हम इन्‍हें बिखरने से बचाएं और इनकी रक्षा करें। उनके मुताबिक इन लोगों में वो ताकत और क्षमता है कि ये दोबारा खुद को खड़ा कर सकें और अपने जीवन को दोबारा पटरी पर ला सकें।

संयुक्‍त राष्‍ट्र की मानवाधिकार संस्‍था (न्छभ्त्ब्) के मुताबिक वर्ष 2019 में पूरी दुनिया में इन शरणार्थियों की संख्‍या 79 करोड़ .50 लाख तक जा पहुंची है। अकेले वर्ष 2019 में एक करोड़ लोगों का अपना घर छोड़कर दूसरी जगहों पर बसना बेहद चिंता का विषय है, जिस पर सभी को ध्‍यान देने की जरूरत है।

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