उत्तराखंड के ग्रामीण इलाक़ों में अभी नहीं सुधर रहे कोरोना से बिगड़े हालात, सरकार 30 मई से पहले कोई राहत देने के मुड़ में नहीं
प्रदेश के गावो में बढ़ते संक्रमण को देखते हुए सरकार अभी कोरोना कर्फ्यू में ढील देने के मूड में नहीं दिख रही वही प्रधानमंत्री द्वारा गाँवो में बढ़ते संक्रमण को लेकर जो चिंता जताई है उसके बाद राज्य सरकार भी गंभीर है ऐसे में उम्मीद कम है कि 25 मई के बाद कुछ राहत मिलेगी साफ है सरकार राज्य में कोविड कर्फ्यू में ढील देने के मामले में संक्रमण की स्थिति के आकलन के बाद ही कोई फैसला करेगी। मुख्य सचिव ओम प्रकाश ने कहा कि हर रोज कोरोना पाजिटिव का आंकड़ा एक हजार से नीचे आने के बाद ही रियायत देने पर विचार किया जाएगा। वहीं कैबिनेट मंत्री व सरकार के प्रवक्ता सुबोध उनियाल ने कहा कि कोरोना के नियंत्रण को लेकर स्थिति अनुकूल नहीं रही तो और सख्ती की जाएगी। यदि संक्रमण की दर में कमी आती है तो समीक्षा के बाद ढील देने पर विचार किया जाएगा। कोविड कर्फ्यू को लेकर सख्ती बरतने के बाद स्थिति में कुछ सधार दिखाई देने लगा है। हालांकि, इस सुधार को लेकर सरकार पूरी तरह आश्वस्त दिखाई नहीं दे रही है। इसकी वजह ग्रामीण क्षेत्रों में भी संक्रमण की दर बढ़ना है। माना जा रहा है ऐसे में 30 मई तक सख्ती बरकरार रह सकती है।साफ है अन्य राज्यों से अभी तक 1 लाख केे लगभग उत्तराखंड आए है प्रवासी उनके आने से गावों मैंं संक्रमण बढ़ गया है ऐसे में गांव की स्थिति को देखते हुए गंभीरता से काम करने की तैयारी की जा रही है और स्थायी तौर पर सुधार दिखने पर ही कोविड कर्फ्यू में कुछ रियायतें देने पर विचार किया जाएगा। मुख्य सचिव ओम प्रकाश ने कहा कि बाहर से आने वालों को अब उत्तराखंड में बगैर आरटीपीसीआर की निगेटिव रिपोर्ट के दाखिल नहीं होने दिया जाएगा। इसमें ढील नहीं दी जाएगी।कैबिनेट मंत्री व सरकार के प्रवक्ता सुबोध उनियाल ने कहा कि कोरोना संक्रमण को लेकर स्थिति की समीक्षा के बाद ही आगे कदम बढ़ाया जाएगा। उन्होंने कहा कि कोरोना की तीसरी लहर के अंदेशे को देखते हुए तैयारी की जा रही है। बच्चों के संक्रमण की जद में आने पर प्रदेशभर में अस्पतालों के आसपास के होटलों का अधिग्रहण किया जाएगा। इन्हें कोविड केयर सेंटर के रूप में तैयार किया जाएगा। इसमें बच्चों के साथ उनके माता-पिता के रहने की व्यवस्था भी की जाएगी।