उत्तराखंड

उत्तराखंड सचिवालय संघ ने मुख्यमंत्री के सामने उठाया मुद्दा, निजी सचिव सँवर्ग के दो साल से लम्बित पदोन्नतियों पर कार्यवाही की माँग

सचिवालय संघ द्वारा सचिवालय प्रशासन विभाग के अंतर्गत निजी सचिव संवर्ग में विगत 02 वर्षो से अधिक समय से लम्बित पदोन्नतियों के सम्बन्ध में सक्षम स्तरो पर कई बार अनुरोध करने और इस संबंध मे सभी तथ्य और आधार प्रस्तुत कर दिए जाने के उपरांत भी अब तक पात्र कार्मिको को विभागीय पदोन्नति के लाभ से वंचित रखे जाने पर अपना दर्द सरकार को पुनः प्रस्तुत किया है। संघ की ओर से मुख्यमंत्री, मुख्य सचिव और अपर मुख्य सचिव, सचिवालय प्रशासन को संयुक्त रूप से लिखे गए पत्र मे सक्षम अधिकारियों की लचर कार्य प्रणाली का हवाला देते हुए संघ के अध्यक्ष दीपक जोशी महासचिव विमल जोशी द्वारा अवगत कराया है कि सचिवालय प्रशासन विभाग द्वारा अदूरदर्शी/अपरिपक्व निर्णय/दृष्टिकोण के कारण विगत 02 वर्ष से अधिक समय से निजी सचिव संवर्ग में पदोन्नतियॉ नहीं हो रही हैं, जिस कारण संवर्ग के पात्र अधिकारी/कर्मचारी पदोन्नति से वंचित हैं। पदोन्नति से वंचित होने के कारण ऐसे पात्र कार्मिकों को वित्तीय नुकसान के साथ-साथ अनावश्यक मानसिक उत्पीड़न भी सचिवालय प्रशासन विभाग के स्तर से प्रदान किया गया है। सक्षम अधिकारियों के समक्ष प्रकरण में सभी तथ्य/पक्ष रखने के दौरान सदैव प्रकरण में मा0 उच्च न्यायालय में वाद योजित होने का संज्ञान कराया जाता है तथा मात्र अपनी पूर्व में की गयी त्रुटियों को नजरअंदाज किये जाने के कारण ऐसे अन्य प्रकरणों में सशर्त पदोन्नति दिये जाने की संघ की मांग करने की काल्पनिक परिकल्पनाओं का ताना बाना बुना जा रहा है तथा अब तक अकारण पदोन्नति की कार्यवाही रोकी गयी है, जबकि मा0 उच्च न्यायालय में दायर वादों में पारित होने वाले अन्तिम निर्णय के अधीन संवर्ग के रिक्त पदों को पदोन्नतियों के माध्यम से भरा जा सकता है, जिस पर न्याय विभाग द्वारा भी अपना विधिक परामर्श दिया है। न्याय विभाग के परामर्श को स्वीकार करते हुये ऐसे पात्र अधिकारियों/कर्मचारियों को पदोन्नति का लाभ अनुमन्य कराया जा सकता है।
संघ की ओर से यह भी बताया गया है कि सचिवालय प्रशासन विभाग के स्तर से माह मार्च में संघ के साथ वार्ता कर कुछ नये तथ्य/आधार मांगते हुये उन पर पदोन्नति की कार्यवाही किये जाने का आश्वासन दिया गया था, परन्तु पुनः वहीं वाक्यांश कि मामला न्यायालय में विचाराधीन है, कैसे करें, क्या करें, इतना कहकर अपनी जिम्मेदारी की इतिश्री कर ली गयी है। विगत 02 माह का समय व्यतीत होने को है, परन्तु मा0 उच्च न्यायालय में किसी प्रकार की कोई प्रभावी पैरवी तथा urgency प्रदर्शित नहीं की गयी है, जिस कारण प्रकरण को शुप्तावस्था में डाल दिया गया है। इसी सन्दर्भ में मुख्य सचिव महोदय द्वारा माह फरवरी में ही urgency application लगाकार निर्णय तत्काल करने का आश्वासन भी कोरा साबित हुआ है।
कार्मिको की पदोन्नति जैसे रूटीन मामले मे सम्पूर्ण तथ्य प्रस्तुत कर दिये जाने के उपरांत भी डीपीसी न होने से सचिवालय संघ के सदस्यो मे रोष है, जिसके सम्बन्ध मे पुनः संघ की ओर से सूचित किया गया है कि निजी सचिव संवर्ग में प्रमुख निजी सचिव के पद पर्याप्त मात्रा में रिक्त हैं, जिनके सापेक्ष पात्र अधिकारी भी उपलब्ध हैं। उक्त अधिकारी वर्तमान समय में प्रभावी अन्तिम ज्येष्ठता सूची वर्ष 2019 एवं इससे पूर्व लागू रही ज्येष्ठता सूची वर्ष 2009 दोनों ही प्रास्थितियों में पदोन्नति के वर्तमान क्रमांक पर अवस्थित हैं, किसी भी परिवर्तित होने वाली स्थिति में इनकी ही पदोन्नति होनी है तथा इनसे किसी की पदोन्नति के अवसर बाधित नही होने हैं। संघ का किसी भी कार्मिक की पदावन्ति आदि कराये जाने की कोई मंशा/आशय नही है, मात्र रूकी हुयी पदोन्नतियों को तत्काल कराते हुये पदोन्नति से अकारण वंचित संवर्गीय कार्मिकों को लाभ दिलाया जाना मात्र है। इस सम्बन्ध में यह तथ्य भी बताया गया है कि मा0 उच्च न्यायालय द्वारा रिट याचिका संख्या- 191/2019 में पारित अन्तरिम आदेश के अधीन ही सचिवालय प्रषासन विभाग द्वारा संवर्ग की अन्तिम ज्येष्ठता सूची प्रख्यापित की गयी है, जो वर्तमान समय में प्रभावी है। इस ज्येष्ठता सूची में सभी आपत्तियों का विधिवत् रूप से निस्तारण करते हुये सूची प्रख्यापित की गयी है, जिसे अब काल्पनिक रूप से सही और गलत कहना सचिवालय प्रशासन विभाग की कार्य प्रणाली पर प्रश्नचिन्ह लगा रहा है।
सचिवालय संघ की ओर से दिए पत्र मे नौकरशाही को निशाना बनाते हुए प्रश्न किया गया है कि राज्य का दुर्भाग्य है कि कार्मिकों की पदोन्नति जैसे रूटीन कार्य हेतु संघ की ओर से विगत काफी समय से लगातार समस्त तथ्य/आधार देते हुये अनुरोध/मांग की जा रही है, परन्तु ऐसे रूटीन प्रकरणों को भी समय पर निस्तारित न करना आला अधिकारियों की कार्य प्रणाली को दर्शित कर रहा है, क्या ऐसे आला अधिकारियों द्वारा स्वंय की पदोन्नति आदि के मामलों मे भी यही रूख रखा जाता होगा या अपनी पदोन्नति समय से पूर्व ही अथवा शिथिलता के साथ कराये जाने की व्यवस्था अमल मे लायी जाती होगी ?? इन्हीं सब कारणों से ऐसे आला अधिकारी कार्मिकों के प्रति अपनी नकारात्मक तथा ढुलमुल रवैये की नीति से सरकार की छवि को धूमिल करने का प्रयास सिद्ध करते हैं तथा इस प्रदेश को हडताली प्रदेश बनाये जाने के मुख्य स्तम्भ हैं।
सचिवालय संघ द्वारा किये गए कटाक्ष अपनी जगह सही भी हैं, क्योंकि अभी हाल ही मे राज्य के 02 आला अधिकारियो को उनकी पदोन्नति की नियत अवधि से पूर्व ही शिथिलता प्रदान करते हुए प्रमुख सचिव व अपर मुख्य सचिव के पदो पर पदोन्नतियो से नवाजा गया है।
इन सब तथ्यो के आधार पर सचिवालय संघ द्वारा पूर्व से समय-समय पर सभी सक्षम स्तरों पर किये जा रहे अनुरोध के क्रम में निजी सचिव संवर्ग की वर्तमान में विद्यमान अन्तिम ज्येष्ठता सूची 2019, जो सचिवालय प्रशासन विभाग द्वारा मा0 उच्च न्यायालय के रिट याचिका संख्या 191/2019 में पारित निर्णय के अनुपालन में ही निर्गत की गयी है तथा जिसके सन्दर्भ में न्याय विभाग द्वारा भी अपना विधिक परामर्श व सहमति दी गयी है, के आधार पर शीघ्रताशीघ्र सशर्त पदोन्नति (मा0 उच्च न्यायालय में दायर वाद में पारित होने वाले अन्तिम निर्णय के अधीन) की कार्यवाही पूर्ण करते हुये विगत 02 वर्षो से अधिक समय से अकारण पदोन्नति से वंचित रखे गये संवर्ग के पात्र कार्मिकों के पक्ष में पदोन्नति आदेश निर्गत हेतु सम्यक कार्यवाही अमल में लाने की मांग सरकार से की गई है, जिस पर मुख्यमंत्री के स्तर से त्वरित संज्ञान लेते हुये तत्काल आख्या सहित पत्रावली प्रस्तुत करने के निर्देश अपर मुख्य सचिव, सचिवालय प्रशासन विभाग को दिए गए हैं।

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