उत्तराखंड शासन ने बड़े मामले में जाँच की शुरू, सांसद मेनका गांधी ने जाँच के लिए भेजा था पत्र
उत्तराखंड भेड़ एवं ऊन विकास बोर्ड में वित्तीय अनियमितताओं की शिकायत की उच्च स्तरीय जांच शुरू हो गई है। इस मामले में जांच अधिकारी प्रमुख सचिव आनंद बद्र्धन ने बोर्ड में हुई खरीद आदि के संबंध में सचिव पशुपालन से रिपोर्ट तलब की है। उधर, पीपुल फॉर एनिमल (पीएफए) उत्तराखंड की ट्रस्टी गौरी मौलेखी ने बोर्ड द्वारा बागेश्वर और टिहरी जिले में पशु आहार खरीद से संबंधित साक्ष्य जांच अधिकारी को मुहैया कराए हैं। पीएफए की ट्रस्टी मौलेखी ने पूर्व में आरटीआई में मिली जानकारी के आधार पर बोर्ड में पशु आहार खरीद में अनियमितता का मामला उठाते हुए इसकी शिकायत मुख्यमंत्री और शासन से की थी। साथ ही बोर्ड द्वारा आस्ट्रेलिया से मंगाई गई मरीनो भेड़ों की उपयोगिता पर भी सवाल उठाए थे। हाल में पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं सांसद मेनका गांधी ने भी मुख्यमंत्री को पत्र भेजकर बोर्ड में अनियमितताओं की ओर मुख्यमंत्री का ध्यान आकृष्ट कराया था। पूर्व केंद्रीय मंत्री ने पत्र में बोर्ड के सीईओ पर गंभीर आरोप लगाने के साथ ही विभाग के सचिव की भूमिका पर भी सवाल उठाए थे। पत्र में आरोप लगाया गया कि बोर्ड में जिला बजट से पशुआहार तय दरों से ज्यादा पर खरीदा गया। यही नहीं, बोर्ड में बगैर पद सृजन के कुछ कार्मिकों को प्रतिनियुक्ति पर रखे जाने, ढाई लाख रुपये प्रतिमाह पर रखे गए कंसल्टेंट को तय वेतन से ज्यादा वेतन देने व इसकी स्वीकृति न लेने संबंधी आरोप लगाए गए।
पत्र में बोर्ड के सीईओ की संपत्ति का उल्लेख भी किया गया। पत्र में प्रकरण की जांच कराने और भेड़ एवं ऊन विकास योजना को बंद करने का सुझाव भी दिया गया। मामला संज्ञान में आने पर मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने मुख्य सचिव ओमप्रकाश को प्रकरण उच्च स्तरीय जांच के आदेश दिए। मुख्य सचिव ने पहले अपर मुख्य सचिव मनीषा पंवार की अध्यक्षता में जांच समिति गठित की थी, लेकिन बाद में प्रमुख सचिव आनंद बद्र्धन की अध्यक्षता में समिति का गठन किया गया। अपर सचिव वित्त भूपेश तिवारी इस समिति के सदस्य हैं। समिति ने प्रकरण की जांच प्रारंभ कर दी है।
जांच अधिकारी प्रमुख सचिव आनंद बद्र्धन के अनुसार बोर्ड में हुई खरीद आदि के संबंध में सचिव पशुपालन से रिपोर्ट तलब की गई है। साथ ही कुछ और बिंदुओं पर भी जानकारियां मांगी गई हैं। उन्होंने बताया कि पीएफए की ट्रस्टी गौरी मौलेखी से भी साक्ष्य मांगे गए हैं। उधर, मौलेखी ने बोर्ड में हुई पशुआहार खरीद से संबंधित ब्योरा पत्र के माध्यम से जांच अधिकारी को भेजा है। इसकी प्रतियां मुख्यमंत्री और मुख्य सचिव को भी भेजी गई हैं।