MD UPCL का बड़ा फ़ैसला, सालों बाद हुए निर्णय में बचाए करोड़ों रुपय, अधिकारियों की लापरवाही से लाखों का भुगतान करोड़ों में पहुँचा
जिटको कंपनी भुगतान विवाद में एमडी नीरज खैरवाल ने बोल्ड स्टैप उठाया है। कोई भी अफसर इस मामले में हाथ डालने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहा था। यही वजह है कि जनवरी 2019 में आर्बिटेटर के आए फैसले के बाद भी इस मसले को नहीं सुलझाया गया। यदि 2004 में ही ये मसला सुलझता, तो 50 लाख ही भुगतान करना होता। यूपीसीएल सूत्रों की माने तो जनवरी 2019 में भी 10 करोड़ पर समझौते की तैयारी थी, लेकिन तत्कालीन अफसर कुछ और ही समझौता करने का दबाव बनाए हुए थे। अभी भी यदि ये प्रकरण नहीं सुलझता तो आने वाले समय में यूपीसीएल को 50 करोड़ का भुगतान करना होता। एमडी नीरज खैरवाल ने बताया कि इसी बढ़ते वित्तीय भार को देखते हुए प्रकरण का निस्तारण किया गया।
यूपीसीएल को 16 साल पहले जिटको कंपनी को जिस काम के लिए सिर्फ 50 लाख भुगतान करना था, उसी काम का अब 2020 में 15.68 करोड़ का भुगतान करना पड़ा। इंजीनियरों की लापरवाही, मिलीभगत से यूपीसीएल को 15.18 करोड़ का अतिरिक्त भुगतान करना पड़ा। आर्बिटेशन में केस हारने के बाद यूपीसीएल को 40 करोड़ का भुगतान करना था, लेकिन कंपनी से समझौता कर करीब 24.32 करोड़ जरूर बचा लिए गए।
यूपीसीएल ने वर्ष 2004 में जिटको कंपनी से बिजली घरों के निर्माण व अन्य 30 करोड़ के कार्यों के कुल छह एग्रीमेंट किए। इस पर 28 करोड़ से ज्यादा का भुगतान हुआ। कंपनी ने ये सभी काम समय पर नहीं किए। कुछ अफसरों ने कई काम एग्रीमेंट से बाहर जाकर कराए। इसके लिए कहीं से भी कोई मंजूरी न लेने के आरोप हैं। भुगतान के समय ऐसे 50 लाख की फाइलों को रोक दिया गया। भुगतान लटकता देख कंपनी कोर्ट गई। कोर्ट के निर्देश पर हाईकोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस वीके गुप्ता ने लंबी चली सुनवाई के बाद जनवरी 2019 को 50 लाख के काम का 32 करोड़ भुगतान का फैसला दिया। साथ ही निर्देश दिए कि भुगतान में देरी होने पर 12 प्रतिशत ब्याज लगाया जाए। जनवरी 2019 से दिसंबर 2020 तक मामला लटकने पर ये कुल बकाया 32 करोड़ से 40 करोड़ पहुंच गया। प्रतिदिन एक लाख का कंपनी का बकाया ब्याज के रूप में यूपीसीएल पर बढ़ता रहा। इस पर यूपीसीएल ने कंपनी के साथ समझौता कर पूरे विवाद को 15.68 करोड़ में निपटाते हुए भुगतान कर दिया है।
इन इंजीनियरों को जारी हुई है चार्जशीट
पूर्व मुख्य अभियंता आरएस बर्फाल, पूर्व जीएम मोहम्मद इकबाल, एसई डीएस खाती, मोहित जोशी, राहुल जैन, आरसी मयाल, एक्सईएन वीरेंद्र सिंह पंवार, वाईएस तोमर समेत तीन सहायक अभियंता और दो जूनियर इंजीनियरों को चार्जशीट जारी की गई। करीब 22 इंजीनियर ऐसे रहे, जिन्हें रिटायर हुए तीन साल से अधिक का समय निकल गया था। ऐसे में उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई।
16 साल से बचे रहे आरोपी इंजीनियर
इस मामले में 16 साल पहले हुई गड़बड़ी के आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई में भी यूपीसीएल प्रबंधन कार्रवाई की हिम्मत नहीं जुटा पाया। चार्जशीट जारी करने में ही 16 लगा दिए। अगस्त 2020 में एक महाप्रबंधक समेत 12 इंजीनियरों के खिलाफ चार्जशीट जारी हुई थी। वो भी तब, जबकि सचिव ऊर्जा राधिका झा ने इस मामले में दखल देते हुए एमडी यूपीसीएल को कार्रवाई के आदेश दिए थे।