Webinar: वर्तमान परिप्रेक्ष्य में भारतीय संस्कृति की प्रासांगिकता
“वर्तमान परिप्रेक्ष्य में भारतीय संस्कृति की प्रासांगिकता” विषय पर शिक्षकों ने राष्ट्रीय वेबिनार के माध्यम से कोरोनाकाल में चर्चा की है। जिसके आयोजन में हिंदी और इतिहास विभाग एस0 जी0 आर0 आर0 (पी0जी0) कॉलेज, एवं देवभूमि विचार मंच, उत्तराखंड देहरादून ने मुख्य भूमिका निभाई
राष्ट्रीय वेबिनार के आयोजक सचिव डॉ0 एम0 एस0 गुसाईं, विभागाध्यक्ष इतिहास विभाग ने बताया कि कोरोना संकट सम्पूर्ण विश्व के समक्ष एक चुनौती लेकर उपस्थित हुआ और विश्व की महाशक्तियों में शामिल अमेरिका, इटली, फ्रांस एवं ग्रेट ब्रिटेन जैसे देश इसके सम्मुख लाचार नजर दिखे। वहीँ हमारा देश भारत अपेक्षाकृत इसके सम्मुख अधिक मजबूती से खड़ा दिखाई दिया। उसकी इस मजबूती में हमें अपनी भारतीय संस्कृति की भूमिका महत्वपूर्ण नजर आयी जिसने सम्पूर्ण भारतीय समाज को इस चुनौती से निपटने में सहायता की, जहाँ विश्व की बड़ी-बड़ी शक्तियां लॉकडाउन के दूसरे ही दिन से मुश्किल में थे वहीँ भारत में लॉकडाउन के 4 माह बाद भी वह अफरा-तफरी नहीं थी। अतः इसी तथ्य को ध्यान में रखकर “वर्तमान परिप्रेक्ष्य में भारतीय संस्कृति की प्रासांगिकता”शीर्षक पर हिंदी और इतिहास विभाग एवं देवभूमि विचार मंच, उत्तराखंड द्वारा इस वेबिनार का आयोजन किया गया।
प्रथम मुख्य वक्ता प्रोफेसर डी0 पी0 सकलानी , इतिहास एवं पुरातत्व विभाग, हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल (केंद्रीय)विश्वविद्यालय, श्रीनगर गढ़वाल ने भारतीय संस्क्रति की भव्यता का परिचय दियाA दितीय मुख्य वक्ता प्रोफेसर सुशील उपाध्याय, प्राचार्य, चमनलाल स्नात्तकोत्तर महाविद्यालय, हरिद्वार के अनुसार भारतीय संस्कृति में विविधता की चर्चा की और कहा कि हमारी संस्कृति में आत्मसात करने की अद्भुत क्षमता है।
वेबिनार संयोजक,डॉ0 सुमंगल सिंह, विभागाध्यक्ष हिंदी विभागने वेबिनार को सफल बनाने के लिए सभी वक्ताओ,श्रोताओं और छात्र-छात्राओं को धन्यवाद दिया गया। डॉ0 अनुभव प्रताप सिंह , असिस्टेंट प्रोफेसर ,गणित विभाग के अनुसार छात्र-छात्राओं को वेबिनार से जोड़ने का एक नवीन प्रयास किया गया। उनसे वेबिनार के विषय पर 500 शब्दों में लेख आमंत्रित किये गए और उनके द्वारा हमे अच्छे लेख प्राप्त हुए जिनमे से 3 का इस वेबिनार में वचन भी हुआ।
इस अवसर पर महविद्यालय की हेरिटेज गैलरी में डॉ संदीप नेगी, डॉ पन्त डॉ विवेक इत्यादि प्राध्यापक उपस्थित रहे अन्य प्राध्यापक सामाजिक दुरी का पालन करते हुए अपने-अपने विभागों से वेबिनार में शामिल रहे।