हरीश रावत ने क्यों किया एक घंटे का मौन उपवास ? उपवास के बाद ऐसा क्यों कहा कि भगवान से प्रार्थना करता हूं की सरकार को सद्बुद्धि दे भगवान ?
#अग्निपथ #अग्निपथवीर
ॐ शांति, शांति।
मैं भी 1 घंटे का मौन उपवास से निवृत्त हुआ हूँ। यह मौन उपवास मैंने अपने उन नौजवानों के पक्ष में रखा, जो नौजवान वर्षों से वर्षों का मतलब इसको कोरोनाकाल के दौरान निरंतर सड़कों पर, गाँव के रास्तों पर, मैदान में पसीना बहा रहे हैं, दौड़ लगा रहे हैं और प्रतीक्षा कर रहे थे कि कोरोनाकाल के बाद सरकार सेना भर्ती करेगी, उनकी निगाहें निरंतर भारतीय सेना के विभिन्न विभागों में रिक्त पड़े पदों पर थी। राज्य के पुलिस के पदों पर थी, लेकिन अचानक सरकार ने अग्निपथ वीर बनाने का फैसला किया है और उस फैसले से वह नौजवान भी हतप्रद हैं और हम लोग भी हतप्रद हैं! मुझ जैसे अभिभावक की समझ में यह नहीं आ रहा है कि 4 साल सेना में भर्ती होने के बाद, सेवा करने के बाद वह नौजवान जब घर वापस आएगा तो उस नौजवान के पास एक पूरा अनिश्चित भविष्य होगा या तो सरकार यह बताएं कि उसको स्वरोजगार के लिए उसने अमुख-अमुख योजना तैयार करके रखी है, पुलिस या दूसरे विभागों में जहां भर्ती करने की बात कही जा रही है, वह पद तो पहले से ही उसके लक्ष्य में हैं, उसमें अतिरिक्त क्या है? क्या उनके लिए पुलिस व पैरामिलिट्री फोर्सेज में अतिरिक्त पद सृजित करने जा रहे हैं? तो आप उन्हीं के हिस्से को उनको दिखाकर के कह रहे हैं कि ये जो अग्निपथ वीर बना रहे हैं हम, यह तुम्हारे हित में है ! मैं नहीं समझता कि यह हमारे नौजवानों के हित में है। मैं उनकी गहरी निराशा का अनुमान लगा सकता हूं। एक बार चंपावत में नदियाल गांव के पास कुछ नौजवान बहुत तेजी से दौड़ रहे थे और एक उन्होंने लकड़ी की बल्ली बना रखी थी और उस बल्ली पर अपने को लटका कर अपनी लंबाई बढ़ाने का प्रयास कर रहे थे, उस समय कोरोना एक अनिश्चित भविष्य लोगों के सामने खड़ा कर रहा था। मैं रुका, मैंने उन नौजवानों की पीठ थपथपाई, मेरे मुंह से सहज ही निकल गया कि पता नहीं यह कोरोना कब खत्म होगा और वह नौजवान कहने लगी कि अंकल यह कोरोना कब तक खत्म होगा! मैंने कहा बेटा पता नहीं एक-दो साल कब तक चलेगा, यह बड़ी अजीब सी बीमारी आ गई है। सच मानिए उन नौजवानों के मेरे शब्द सुनकर जो मुरझाए चेहरे थे अब भी याद हैं। मुझे अपने शब्द, वाक्यों पर बड़ा अफसोस है, उन नौजवानों का दिल टूट गया था और आज जब अग्नीपथ वीर की योजना उनके सामने परोसी जा रही है तो उनके दिलों पर क्या गुजर रही होगी! और उत्तराखंड व पूरे देश के नौजवानों के लिए तो आर्मी में भर्ती होना, यह एक सौभाग्य सूचक माना जाता है। हमारे नौजवान तो छाती पर गोली मारने दुश्मन की या गोली खाने इसको अपनी वीरता की निशानी समझते हैं। जिन 25 प्रतिशत पदों की बात कही जा रही है उनमें 4 साल के बाद जो लोग कार्यरत रहेंगे, वह 25 प्रतिशत पदों में अधिकांश वह पद होंगे जिसमें सीने पर गोली खाने या गोली मारने में से संकल्प सम्मिलित नहीं होंगे! उत्तराखंड को यहां भी नुकसान होगा। एक उत्तराखंडी सैन्य परंपरा को अपना अभिमान मानने वाले व्यक्ति के तौर पर मैं इस बात से बहुत आहत हूं कि आप रेजिमेंट परंपरा को धीरे-धीरे खत्म करेंगे, कुमाऊं रेजीमेंट व गढ़वाल रेजीमेंट मेरा गौरव जिसके साथ में अपनी आंख बंद करने की बात सोचता हूं और हमारे इन रेजीमेंटों के गौरवशाली इतिहास को आप यहीं खत्म कर देंगे! बहुत सारे सवाल उठ रहे हैं! प्रश्न रक्षा सेवाओं का है, मैं ज्यादा बात नहीं करना चाहता था, मगर उन नौजवानों के लिए जो नौजवान इस समय गहरी निराशा में होंगे। मेरी भगवान से प्रार्थना है कि सरकार को सद्बुद्धि दें, समझ दें और कोई रास्ता ऐसा निकालें जिस रास्ते से उन नौजवानों के सामने जो एक जीवन की चुनौती खड़ी हो रही है, उसका समाधान निकल सके।
जय हिंद, जय भारत।।
Narendra Modi Rajnath Singh
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