रावत, रायता, राजनीति
अपने जुदा अन्दाज़ के लिए पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत पहचाने जाते है और मौक़ा हरेला पर्व का है तो फिर हरेला के साथ रावत की राजनीति भी सामने आना तय है। राजधानी देहरादून में हरेला पर्व के मौक़े पर पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने मंदिर में पूजा अर्चना करने के साथ प्रदेशवासियों को हरेला पर्व की शुभकामनाएँ दी है। लेकिन वहीं इन सबसे अलग हरेला पर्व के मौक़े पर उत्तराखंड के पुर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत कल मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत से मुलाक़ात कर हरेले का रायता भेंट करेंगे। हरदा का कहना है कि मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को हरेला की बधाई देने के लिए उनसे मिलने जाएंगे और मुलाकात कर बधाई देंगे। हरीश रावत का कहना है कि त्रिवेंद्र सिंह रावत मुख्यमंत्री है और हरेला पर मुख्यमंत्री को बधाई देना सबका फर्ज है। इस दौरान वह हरेला-हरेली की पत्ती और हरेला का रायता मुख्यमंत्री को भेंट में देने का काम करेंगे। वहीं बड़ी बात यह है की राजनीति में कब किसको कैसे साधना है, यह हरीश रावत को अच्छे से पता है। कभी आम ककड़ी जामुन पार्टी के माध्यम से नेता-जनता के बीच जाना हो या फिर सामाजिक कार्यों में बढ़चढ़कर प्रतिभाग करना। पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत हर काम सोच समझकर करते है। जिसकी छाप उनके बयानो में भी नज़र आती है। वहीं अब मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को रायता भेंट करने का फ़ैसला भी कई निशाने साधने का काम करेगा। मतलब साफ़ है की मुलाक़ात के बाद रावत, रायता, राजनीति पर चर्चा भी ज़रूर होगी।