जंगलों में लगने वाली आग होने लगी बेकाबू, वनाग्नी से धूं धूं कर जल रही वन संपदा_बचाने वाले बने मौन
पौड़ी (बैजरों)_ बढ़ती गर्मी का असर उत्तराखंड के पहाड़ी इलाकों पर भी साफ देखा जा रहा है। जहां लगातार जंगलों में आग लगने की घटनाएं बढ़ रही है। पौड़ी जिले के बीरोंखाल ब्लॉक के ग्राम सभा बम्मराडी के चौंडलिया गांव वा लाच्छी के जंगलों में लगी भीषण आग के चलते वन संपदा को लगातार भारी नुकसान हो रहा है।आस पास रहने वाले इंसानों के साथ ही जंगलों में रहने वाले जंगली जानवरों को भी जंगल में लगी आग नुकसान हो रहा है। जिसके बचाव को लेकर वन विभाग और सरकार को कड़े कदम उठाने की जरूरत है। गर्मी की दस्तक के साथ ही उत्तराखंड के जंगलों में भी हर साल आग लगने की घटनाएं बढ़ने लगती है।फारेस्ट फायर को लेकर हर साल सरकार अलग अलग फरमान जारी करती है। लेकिन जमीनी स्तर पर कोई भी सही परिणाम निकलता हुआ नजर नहीं आता। इसका सीधा असर उन ग्राम वासियों पर पड़ता है जिनकी आत्मनिर्भरता पशुपालन, कृषि और इन वनसंपदाओं पर है। जिन अधिकारियों और कर्मचारियों को जमीनी स्तर पर आग नियंत्रण की जिम्मेदारी है ओ अपना वेतन आराम से ले रहे हैं। उनकी काम आसानी सेे वेतन से चल रहा है, और सरकार पलायन को रोकने के लिए नीति निर्धारण बनाने में लगी है। देहरादून में बुद्धि जीवी सालों से पलायन के कारण, रोकने के उपाय, घटते राजस्व, बढ़ती गरीबी रेखा, कम होते जल श्रोतों, बढ़ते भूस्खलन, कम होती कृषि, घटते जंगल और गांव में बढ़ते जंगली जानवरों के अतिक्रमण पर विचार कर रहे हैं।जब तक इनके विचार जमीन पर उतरेंगे तब तक शायद उत्तराखंड के गांव खाली हो चुके होंगे। फिर सब योजना शायद शहरों और बाजारों के लिए ही बनानी होगी।