उत्तराखंड

सेना का पत्र, परिवार को नहीं मंज़ूर

देहरादून- भारतीय सेना के अदम्य साहस और जज़्बे को पूरा देश सलाम करता है। लेकिन उसी सेना के उपेक्षापूर्ण रवैए से एक परिवार पूरी तरह से टूट चुका है। पहले एक पत्नी को उसके पति के लापता होने की सूचना मिलती है और छः माह के बाद सेना से आए एक पत्र में पति के शहीद होने की जानकारी दी जाती है। पूरी तरह से टूट चुकी तीन बच्चों की माँ बिना सबूत के अपने पति को शहीद मानने को तैयार नहीं है।

8 जनवरी 2020 को ऑन डयूटी लापता हुए 11वीं गढ़वाल राइफल के हवलदार राजेन्द्र सिंह नेगी को भारतीय सेना ने बैटल कैजुअल्‍टी मानते हुए परिवार को पत्र भेजा है। लेकिन उनकी पत्नी और बच्चे इस आस में हैं की हवलदार राजेन्द्र सिंह नेगी का पार्थिव शरीर जब तक उनको नहीं मिलेगा वह इंतज़ार करेंगे। सेना के रवैए आहत हवलदार राजेंद्र की पत्नी राजेश्वरी नेगी का कहना है कि वो सेना की यूनिट में फ़ोन और लेटर के जरिये अपने पति को लेकर जानकारी माँगती रहती है। लेकिन वहां से कोई ठीक से जवाब नहीं मिलता। वहीं अब सेना एक पत्र भेजकर हवलदार राजेंद्र के शहीद होने की बात कही है, जिसको हम बिलकुल भी स्वीकार नहीं करेंगे।


8 जनवरी को पाक सीमा पर अनंतनाग में पैर फिसलने से लापता हुए हवलदार राजेंद्र सिंह नेगी को 21 मई को सेना ने बैटल कैजुअल्‍टी मान लिया है। लेकिन पिछले 6 महीने से हर दिन हवलदार राजेन्द्र का परिवार इस उम्मीद में जी रहा है कि उनके बारे में कोई जानकारी सेना उनसे साझा करेगी। हवलदार राजेन्द्र नेगी के शहीद होने की बात को उनकी पत्नी मानने को तैयार नहीं। जब तक उन्हें उनकी बॉडी नहीं मिलेगी वो नहीं मानेंगी की वो शहीद हो गए हैं। हवलदार राजेन्द्र के चाचा रघुवीर नेगी कहते हैं कि हादसे के बाद जनवरी में नेता तो राजनीति करने खूब आये, लेकिन उसके बाद किसी ने कभी सुध नहीं ली। जब भी यूनिट में फ़ोन करते है तो रिस्पॉंस अच्छा नहीं मिलता। अब सेना ने ने अपनी तरफ़ कार्यवाही कर दी है, लेकिन परिवार की आस अब भी नम आंखों से हवलदार राजेन्द्र की बाट जोह रही है। हालांकि सरकार और प्रशासन से मदद नहीं मिलने से परिवार वालों में आक्रोश है।

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