चारधाम देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड के निरस्तीकरण पर राज्यपाल ने किए हस्ताक्षर, चारधाम यात्रा संचालन की जिम्मेदारी अब बद्री केदार मंदिर समिति के हवाले
देवस्थानम बोर्ड निरस्त होने के बाद अब चारधाम यात्रा संचालन की जिम्मेदारी बद्री केदार मंदिर समिति की होगी। दिसंबर माह में सरकार ने विधानसभा से बोर्ड को निरस्त करने का प्रस्ताव पास किया। जिसको राज्यपाल ने अपनी मंजूरी देते हुए हस्ताक्षर कर दिए है। वहीं अब चारों धाम के खुलने की तिथि भी तय हो गई है। दो साल बाद दोबारा से बीकेटीसी यात्रा का संचालन करेगी। यात्रा संचालन और व्यवस्था को लेकर बीकेटीसी के अध्यक्ष अजेंद्र अजय का कहना है की श्री बद्रीनाथ धाम और केदारनाथ धाम में समिति की तरफ से पूरी तैयारी की जा रही है। कपाट खुलने के साथ ही व्यवस्थाओं को और भी बेहतर किया जाएगा। दूसरी तरफ गंगोत्री और यमुनोत्री धाम में जिला पंचायत के स्तर से यात्रा का संचालन होगा। प्रदेश में चारधाम के तीर्थ पुरोहितों के विरोध के बाद सरकार ने शीतकालीन सत्र में उत्तराखंड चारधाम देवस्थानम प्रबंधन निरसन विधेयक पारित कर इसे मंजूरी के लिए राजभवन भेजा था। विधेयक पर राजभवन की मुहर लगने के साथ ही चारधाम देवस्थान प्रबंधन एक्ट निरस्त हो गया है। सरकार की ओर से इसकी अधिसूचना भी जारी कर दी गई है। जिसके बाद अब चारधाम में पूर्व की व्यवस्था लागू होगी। बदरीनाथ केदारनाथ मंदिर कमेटी ही केदारनाथ, बदरीनाथ में व्यवस्था का संचालन करेगी। भाजपा की त्रिवेंद्र सिंह रावत सरकार के कार्यकाल में 27 नवंबर 2019 को कैबिनेट ने उत्तराखंड चारधाम देवस्थानम प्रबंधन विधेयक को मंजूरी दी गई थी। नौ दिसंबर 2019 को यह विधेयक विधान सभा से पारित कराया गया और राजभवन से मंजूरी के बाद यह कानून बन गया था। सरकार की ओर से इसकी अधिसूचना भी जारी कर दी गई थी। 25 फरवरी 2020 को इसकी अधिसूचना जारी कर बोर्ड का गठन किया गया। जिसमें मुख्यमंत्री को इसका अध्यक्ष और धर्मस्व व संस्कृति मंत्री को उपाध्यक्ष बनाया गया। लेकिन सरकार की इस व्यवस्था से चारधाम के पंडा पुरोहितों में भारी नाराजगी थी। उनका कहना था कि उनके हकहकूकों के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है। दशकों से चली आ रही पंरपरा के साथ किसी तरह की छेड़छाड़ नहीं की जानी चाहिए। सरकार एक्ट बनाकर मंदिर के वित्तीय और नीतिगत फैसलों पर नियंत्रण करना चाहती है। चारधाम के पंडा पुरोहितों के विरोध को देखते हुए धामी सरकार ने एक्ट को निरस्त किए जाने का निर्णय लिया और शीतकालीन सत्र में देवस्थानम प्रबंधन निरसन विधेयक प्रस्तुत कर इसे मंजूरी के लिए राजभवन भेजा था। जिसे राजभवन से मंजूरी मिलने के बाद अब बदरीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री व यमुनोत्री में पूर्व व्यवस्था बहाल हो गई है।