विधानसभा का आदेश पा रहा सुर्ख़ियाँ
देहरादून- उत्तराखंड विधानसभा में होने वाली नियुक्ति हमेशा सुर्ख़ियों में रही है। अब एक बार फिर से सचिव विधानसभा का प्रभार उप सचिव (शोध) को देना ख़ासी सुर्ख़ियों में है। विधानसभा उत्तराखंड के इतिहास पर नज़र डाले तो अभी तक इस तरह का प्रभार सचिव विधायी को देने की परंपरा रही है। लेकिन ताज़ा मामले में विधानसभा के ज्वाइंट और डिप्टी सेक्रेटरी को भी बाईपास कर दिया गया। ऐसे में शोध के उप सचिव को चार्ज देने का यह आदेश विधानसभा में ख़ासा चर्चित हो चुका है। लंबे समय से रिटायर होने के बाद भी सचिव विधानसभा की कुर्सी संभाल रहे जगदीश चंद्र का कार्यकाल अब जाकर समाप्त हुआ है। लगभग दो साल से अधिक वर्षों तक सचिव साहब एक्सटेंशन पर रहे और इस अवधि में विधानसभा सचिव पर स्थायी नियुक्ति की दिशा में कोई भी काम नहीं किया गया। वहीं अब एकाएक उप सचिव (शोध) मुकेश सिंघल को सचिव पद का प्रभार सौंप दिया गया। जिसको लेकर विधानसभा में अनुसचिव नरेंद्र सिंह रावत की ओर से आदेश जारी किए गए है और हवाला स्पीकर के आदेश का दिया गया है।
वहीं एक महत्वपूर्ण बात यह भी है कि विधानसभा में ज्वाइंट सेक्रेटरी के पद पर मदन सिंह कुंजवाल और उप सचिव के पद पर चंद्र मोहन गोस्वामी काम कर रहे हैं। ऐसे में इस आदेश में इन्हें भी नजर अंदाज किया गया, जोकि वरिष्ठता में भी उप सचिव (शोध) से ऊपर हैं। इस पद पर इससे पहले सचिव विधायी को प्रभार दिया गया था। विधानसभा के तत्कालीन प्रमुख सचिव महेश चंद्र का एक्टेंशन खत्म होने के बाद तत्कालीन सचिव विधायी गैरौला को सचिव पद का ज़िम्मा सौंपा गया। गौरतलब है कि सचिव विधायी के पद पर अपर जिला जज स्तर के न्यायिक अधिकारी की तैनाती होती है।