रावण की मौत से सबक़ ले चीन
*महाराज ने रामायण भेजकर चीनी राष्ट्रपति सी जिनपिंग को किया आगाह*
*कहा विस्तारवादी सोच के चलते हुआ था दशानन का पतन*
देहरादून- चीन की विस्तारवादी नीति को रामायण के माध्यम से आइना दिखाते हुए उत्तराखंड के पर्यटन, सिंचाई, संस्कृति एवं धर्मस्व मंत्री श्री सतपाल महाराज ने आज चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग को प्राचीन ग्रन्थ रामायण भेजकर उन्हें रावण की विस्तारवादी सोच से हुए नुकसान से सबक लेने की बात कही।
प्रदेश के पर्यटन, सिंचाई, संस्कृति एवं धर्मस्व मंत्री श्री सतपाल महाराज ने आज यहाँ अपने सुभाष रोड़ स्थित सरकारी आवास पर मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि गलवान घाटी में जिस प्रकार से चीन के सैनिकों ने अपनी विस्तारवादी सोच के चलते निहत्थे भारतीय जवानों पर हमला किया व बहुत ही निंदनीय है। श्री महाराज ने कहा कि वह चीन के राष्ट्रपति शी जिंनपिंग आज प्राचीन ग्रंथ रामायण भेजकर संदेश देना चाहते हैं कि दशानन रावण की विस्तारवादी सोच के परिणाम स्वरूप ही उसका कैसा हश्र हुआ था। उन्होने कहा कि वह चीन के राष्ट्रपति को बताना चाहते हैं कि विस्तारवादी व्यक्ति अथवा देश कभी पनपते नहीं हैं। कैबिनेट मंत्री श्री महाराज ने कहा कि वह आशा करते हैं कि चीनी राष्ट्रपति जिनपिंग रामायण से शिक्षा लेकर रावण की विस्तारवादी सोच से हुए उसके पतन से कुछ सबक लेंगे। रामायण में बताया गया है कि जो व्यक्ति विस्तारवाद की बात करता है उसका अंत कैसे होता है। मेरा चीन को यह भी संदेश है कि वह चीन की जनता का जो भारी भरकम पैसा अपनी सैनिक शक्ति बढ़ाने पर खर्च कर रहा है। उसे उस बीमारी की रोकथाम पर खर्च करे जिससे आज पूरी दुनिया त्रस्त है। उन्होने कहा कि भारत की कभी भी विस्तारवादी सोच नहीं रही है। भारत ने बांग्लादेश को जीतने के बावजूद भी उस पर अपना अधिकार छोड़ दिया। जबकि चीन का रवैया प्रारम्भ से ही विस्तारवादी रहा है। तिब्बत को वह ले चुका है। उन्होने कहा कि इसीलिए वह चीन के राष्ट्रपति शी जिंनपिंग को आज रामायण भेज रहे हैं कि उन्हें समबुद्धि आये कि विस्तारवादी सोच उनके लिए कितनी घातक है।