उत्तराखंड बीजेपी में अभी और बड़ी सेंध लगा सकते हैं प्रीतम सिंह, जल्द प्रीतम का हाथ थामकर घरवापसी कर सकते हैं कई बड़े चेहरे
देहरादून । उत्तराखंड विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा को तगड़ा झटका लगा है। परिवहन मंत्री यशपाल आर्य और उनके विधायक बेटे संजीव आर्य आज दिल्ली में कांग्रेस में शामिल हो गए हैं। कांग्रेस की सदस्यता लेकर दोनों नेताओं ने घर वापसी कर ली है। कैबिनेट मंत्री का पार्टी छोड़कर जाना कोई छोटी बात नहीं है। यशपाल आर्य आखिर बीजेपी छोड़कर वापस कांग्रेस में चले गए। साथ में विधायक बेटे संजीव को भी ले गए। ये आज की सबसे बड़ी खबर है। लेकिन इससे भी बड़ी खबर ये है आर्य की घरवापसी कराने वाला कौन है? अंदरखाने से खबर पता चली है कि हरीश रावत और कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल को इस खेल की भनक तक नहीं थी। (इस बात का प्रमाण- गोदियाल ने सोमवार को साढ़े बारह बजे राज्यपाल को ज्ञापन सौंपने के लिए वक्त मांगा था।)
*प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह ने दिया जोर का झटका*
सूत्रों की माने तो हरीश रावत और गणेश गोदियाल को रविवार रात को राहुल गांधी की तरफ से फोन आया कि सुबह की फ्लाइट पकड़ें और दिल्ली पहुंचें। उत्तराखंड से बड़े चेहरे की दिल्ली में ज्वाइनिंग होनी है। इसके बाद अगली सुबह यानि सोमवार को गोदियाल और हरीश रावत फ्लाइट पकड़कर दिल्ली पहुंचे। प्रीतम सिंह तीन से दिन पहले ही दिल्ली पहुंच चुके थे। इस खेल से प्रीतम सिंह का कद अलाकमान के आगे और बढ़ गया है। खेल में हरीश रावत और गोदियाल पिछड़ गए। इतना ही नहीं, सूत्र बताते हैं कि प्रीतम सिंह की अगुवाई में एक कदावर विधायक एक दो दिन में भाजपा ज्वाइन कर सकते हैं। ये भी खबर है कि प्रीतम सिंह की अगुवाई में और भी पुराने कांग्रेसी घरवापसी कर सकते हैं। क्योंकि इनकी नाराजगी हरीश रावत से है और हरीश रावत को पटखनी देने का ये अच्छा मौका है। आपको बता दें दिल्ली में कांग्रेस राष्ट्रीय प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला, अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल और प्रदेश प्रभारी देवेंद्र यादव की उपस्थिति में प्रेस वार्ता में यशपाल और संजीव आर्य ने वापसी की। इस दौरान नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह, प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल और पूर्व सीएम हरीश रावत भी मौजूद रहे।
*उत्तराखंड सरकार में मंत्री हैं यशपाल आर्य*
यशपाल आर्य बाजपुर और उनके बेटे संजीव आर्य नैनीताल सीट से विधायक हैं। वहीं यशपाल आर्य पुष्कर सिंह धामी सरकार में मंत्री थे और उनके पास छह विभाग थे। जिसमें परिवहन, समाज कल्याण, अल्पसंख्यक कल्याण, छात्र कल्याण, निर्वाचन और आबकारी विभाग शामिल थे। यशपाल और संजीव आर्य ने 2017 में कांग्रेस छोड़ भाजपा का दामन थामा था। भाजपा ने तब दोनों को प्रत्याशी भी बनाया था। दोनों ने जीत दर्ज की थी। इसके बाद भाजपा सरकार ने यशपाल आर्य को कैबिनेट मंत्री बनाया। यशपाल आर्य छह बार विधायक रह चुके हैं। यशपाल पूर्व में उत्तराखंड विधानसभा के अध्यक्ष भी रहे हैं। यशपाल आर्य पहली बार 1989 में खटीमा सितारगंज सीट से विधायक बने थे। वह पहले भी काफी समय तक कांग्रेस पार्टी में भी रहे हैं। इससे पहले कांग्रेस विधायक राजकुमार व प्रीतम सिंह पंवार और निर्दलीय विधायक राम सिंह कैड़ा ने भाजपा का दामन थामा था।
*देहरादून स्थित कांग्रेस भवन में आतिशबाजी*
कैबिनेट मंत्री यशपाल आर्य और विधायक संजीव आर्य के कांग्रेस में शामिल होने पर देहरादून स्थित कांग्रेस भवन में आतिशबाजी की व एक-दूसरे को मिठाई खिलाकर कांग्रेसियों ने जश्न मनाया।
*प्रीतम की चाल में उलझे भाजपाई, भाजपा को कुमाऊँ में बड़ा झटका*
नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह ने कहा है कि उत्तराखंड सरकार में वरिष्ठ मंत्री व कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष यशपाल आर्य और उनके बेटे संजीव आर्य की कांग्रेस में घर वापसी से भाजपा की उल्टी गिनती शुरू हो गई है। प्रीतम ने कहा कि यशपाल आर्य कोई साधारण नेता नहीं हैं। उनकी कांग्रेस वापसी से राज्यभर में कांग्रेस के लाखों कार्यकर्ताओं में खुशी की लहर दौड़ गई है। उन्होंने कहा कि भाजपा ने जिस तरह से पिछले कुछ दिनों से दल-बदल का खेल शुरू किया था, कांग्रेस को उसका जवाब देना जरूरी हो गया था। कांग्रेस बहुत दल-बदल के पक्ष में नहीं है, लेकिन पार्टी के निष्ठावान कार्यकर्ता जो पार्टी को छोड़कर गए हैं, वह पार्टी में आते हैं तो निश्चय ही उनका खुले दिल से पार्टी स्वागत करेगी। अगर मुख्यमंत्री का यह कहना कि कांग्रेस में लीडरशीप की कमी है, तो उन्हें अपने गिरेबान में झांकना चाहिए कि वह चुनाव जीतने के लिए कांग्रेस की ओर ही नजर क्यों बनाए रखते हैं। प्रीतम ने कहा कि भाजपा सरकार की कैबिनेट में तमाम पुराने कांग्रेसी हैं, जो इस बात का प्रमाण हैं कि लीडरशीप की कमी कांग्रेस में नहीं भाजपा में है। कांग्रेस के नेताओं को आयात करके उन्होंने सरकार बनाई और आज भी उनकी कैबिनेट कांग्रेस से आयात किए गए नेताओं के दम पर चल रही है। प्रीतम ने कहा कि एक तरफ भाजपा यूथ की बात करती है, जबकि उसके लिए कोई रोजगार नहीं है। दूसरी तरफ भाजपा किसानों की बात करती है तो उधर उनकी हत्याएं हो रही हैं। तीसरी तरफ अच्छे दिनों की बात करती है, तो प्रदेश का आम आदमी तमाम तरह की समस्याओं से त्रस्त है। महंगाई सातवें आसमान पर है, पेट्रोल-डीजल के दाम सौ रुपये के पार हो गए। राशन, दालों और खाद्य तेलों के दाम आम आदमी की जेब से बाहर हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि भाजपा की कथनी और करनी में अंतर है। मुख्यमंत्री बनने के बाद धामी से उम्मीद थी कि वह बातें कम और काम ज्यादा करेंगे, लेकिन ठीक उसके उलट वह केवल बातें कर रहे हैं, काम कुछ नहीं हो रहा है। उन्होंने कहा कि आम आदमी अब भाजपा के जुमलों में फंसने वाला नहीं है। इस बार विस चुनाव में स्पष्ट हो जाएगा कि भाजपा कितने पानी में है।