उत्तराखंड

उत्तराखंड में मेक इन इंडिया के तहत चीन की ‘योयो गो’ कंपनी ने किया है करोड़ों का निवेश, अब गिर सकती है गाज

उत्तराखंड में मेक इन इंडिया के तहत चीन की ‘योयो गो’ कंपनी ने किया है करोड़ों का निवेश, अब गिर सकती है गाज

चीन के खिलाफ देश व्यापी विरोध का इस कंपनी पर भी पड़ सकता है भारी असर 

लद्दाख सीमा पर चीनी सैनिकों की हरकत से हुए खूनी संघर्ष में भारत के 20 जवानों की शहादत के बाद जारी देश व्यापी विरोध प्रदर्शन का चीनी कंपनी पर असर पड़ना तय है। बीएसएनएल में केंद्र सरकार ने चीनी सामग्री के इस्तेमाल पर रोक लगा दी है।  लोगों का मानना है कि जिस तरह केंद्र सरकार पर चीन के खिलाफ एक्शन लेने का दबाव है, उसे देखते हुए टैक्सटाइल्स के क्षेत्र में उत्तराखंड में करोड़ों का निवेश करने वाली सितारगंज में स्थित चीन की कंपनी पर भी गाज गिर सकती है।

25 सितंबर 2014 को देशी और विदेशी कंपनियों पर भारत में ही वस्तुओं के निर्माण पर बल देते हुए औद्योगीकरण और उद्यमिता को बढ़ावा देने और रोजगार सृजन के लिए मेक इन इंडिया की शुरुआत की गई थी। इसके तहत साल 2017 में चीन की 12 बड़ी कंपनियों ने उत्तराखंड में छह हजार करोड़ के निवेश के लिए सहमति जताई थी। ये सभी कंपनियां सितारगंज और पंतनगर सिडकुल में लगनी थी और करीब सवा लाख लोगों को रोजगार मिलना था।

छह चीन के अधिकारी और 150 वर्कर कार्यरत
इनमें से सिर्फ एक ही कंपनी यहां पहुंची। चीन की ‘योयो गो’ टैक्सटाइल्स प्राइवेट लिमिटेड कंपनी ने यहां के सिडकुल फेज टू में करीब 325 करोड़ का निवेश किया। नवंबर 2018 में कंपनी ने कंबल उत्पादन की शुरुआत की। करीब पांच सौ युवाओं को रोजगार देने वाली कंपनी में वर्तमान में लगभग छह चीन के अधिकारी और 150 वर्कर कार्यरत हैं, जबकि अन्य 11 कंपनियां अभी तक नहीं पहुंची।

इधर, गलवां घाटी में भारतीय जवानों की शहादत के बाद चीन के खिलाफ उपजे आक्रोश को देखते हुए कंपनी में कार्यरत छह चीनी अधिकारी भी अपनी सुरक्षा को लेकर आशंकित हैं। अगर सरकार ने सीधे तौर पर चीन से कारोबारी रिश्ते खत्म किए तो यहां संचालित कंपनी को अपना बोरिया- बिस्तर समेटना पड़ेगा। इससे कंपनी से जुड़े सैकड़ों लोग बेरोजगार हो जाएंगे।

सिडकुल की छह कंपनियों में चीन से आता है सामान
सिडकुल की करीब छह कंपनियां चीन से सामान मंगाती है। एक कंपनी में हाईड्रोजन बनाने के लिए कैटलिस्ट चीन से मंगाया जाता है। इसके अलावा अन्य कंपनियों में प्लांट के स्पेयर भी चीन से आते हैं। एक कंपनी के अधिकारी का कहना है कि चीन की मशीनों में कोडिंग भी चीनी भाषा में होती है। इस वजह से कोई भी खराबी आने पर चीन के इंजीनियर ही उसे ठीक करने आते हैं।

30 जून को चीनी अधिकारियों का बिजनेस वीजा खत्म
चीन की योयो गो कंपनी में कार्य कर रहे चाइना के छह अफसरों का वीजा 30 जून को समाप्त हो रहा है। कंपनी अधिकारियों ने वीजा विस्तारीकरण के लिए सरकार को रिपोर्ट भेजी है। कंपनी अधिकारी का कहना है कि बिजनिस वीजा एक्सटेंशन की प्रक्रिया नॉर्मल है। सरकार से वीजा विस्तार की स्वीकृति भी मिल सकती है।

कंपनी चीन की जरूर है, लेकिन मेक इन इंडिया की तर्ज पर चल रही है। कंपनी का कच्चा माल गुजरात की रिलायंस कंपनी से आता है। सौ प्रतिशत एफडीआई उत्तराखंड सरकार की है। कंपनी की ओर से विदेशों में माल भेजने की योजना है। लेकिन अभी तक कंपनी में बनने वाले कंबल उत्पादन को सिर्फ भारत में बेचा जा रहा है।
-बृजेश उपाध्याय, मानव संसाधन प्रबंधक-योयो गो कंपनी सितारगंज

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