Friday, April 26, 2024
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उत्तराखंड

तबाही में जिंदगी को तलाशते जवानों के जोश-जज्बे को सलाम

देहरादूनः चमोली के रैणी में आई आपदा को आए आज पांच दिन हो गए हैं। आपदा के तत्काल बाद आईटीबीपी और एसडीआरएफ की टीमें मौके पर पहुंच गई थी। भले अभी तक इन टीमों को कोई बड़ा ब्रेक थ्रू न मिल पाया हो लेकिन जिस जोश और जज्बे के साथ जवानों ने पहले दिन राहत-बचाव का कार्य शुरू किया था, वह आज भी बरकरार है। फिर बात चाहे तपोवन टनल में चल रहे रेस्कयू अभियान की हो या आपदा पीड़ितों को राहत पहुंचाने से लेकर विपरीत हालातों में झूला पुल बनाने की। हर मोर्चे पर देश के यह सपूत निस्वार्थ भाव से अपनी जान जोखिम में डालकर जिंदगियों को राहत पहुंचाने में जुटे हैं।

तपोवन रैणी क्षेत्र में रविवार सुबह दस बजे के करीब आई जलप्रलय में 200 से ज्यादा लोग हताहत हुए थे। जलप्रलय के तुरंत बाद घटनास्थल से कुछ दूरी पर तैनात आईटीबीपी और एसडीआरएफ के जवान घटनास्थल पर पहुंच गए थे। सैलाब के सामान्य होने से पहले ही जवानों ने मौके पर राहत-बचाव कार्य शुरू किए। तपोवन से लेकर ऋषिकेश-हरिद्वार तक सैलाब की माॅनीटरिंग शुरू की गई। घटनास्थल पर भी जवानों ने राहत कार्य शुरू किए। अगले दिन से एनडीआरएफ समेत मरीन कमांडोज आदि टीमें भी राहत में जुटी हैं। सबसे बड़ी चुनौती बचाव कार्य में जुटी टीमों के लिए पहले दिन से लेकर अब तक तपोवन की वह टनल बनी हुई है जहां पर 34 लोगों के होने का अंदेशा है। इस टनल की सफाई का काम आपदा के अगले दिन से ही प्रारंभ कर दिया गया था। चूंकि टनल में कई मीटर अंदर तक गाद भर चुकी है तो इसे साफ करना सबसे बड़ी बाधा साबित हो रहा है। लगातार राहत-बचाव में जुटी टीमें टनल में भरी गाद को निकालने में जुटी हैं। बीते रोज धौलीगंगा नदी का जलस्तर एकाएक बढ़ने पर करीब डेढ़ घंटे तक राहत बचाव कार्य को रोकना भी पड़ा था। टनल के नीचे सिल्ट फलशिंग टनल तक ड्रिलिंग के लिए बुधवार रात शुरू किया गया अभियान न केवल रोकना पड़ा था, बल्कि उसके बाद पुराने तरीके से ही दोबारा रेस्कयू अभियान शुरू किया गया।
बहरहाल, तमाम चुनौतियां और बाधाएं आने के बावजूद मौके पर जुटे जवानों के हौंसले में इतनी सी भी कमी नहीं आई है। आईटीबीपी, सेना, उत्तराखंड पुलिस, वायुसेना और नौसेना के जवान हर पल पूरी जी-जान के साथ जिंदगियों को बचाने की जंग में जुटे हैं। वह भी उन हालातों में जबकि मिसिंग लोगों के परिजनों का धैर्य भी जवाब देने लगा है। ऐसे में यह जवान खुद को रोज एक नई ऊर्जा के साथ अभियान के काम में झोंक रहे हैं और रोजाना जिंदगियों को बचाने की जंग में जुटे हैं।

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