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अफगानिस्तान के बदले हालातों का देहरादून में भी दिख रहा असर, आईएमए में प्रशिक्षण लेने वाले अफगानी कैडेट्स की बढ़ी चिंता

अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद से ही अस्थिरता का माहौल है। जिसके बाद से ही देहरादून स्थित भारतीय सैन्य अकादमी (आइएमए) में प्रशिक्षण ले रहे 80 अफगानी कैडेट के भविष्य पर भी अनिश्चितता के बादल मंडराने लगे हैं। अफ़ग़ानिस्तान से लगातार आ रही खबरों के बाद यह सभी अपने अपने परिवार को लेकर चिंतित हैं। भारतीय सैन्य अकादमी में देश ही नहीं, बल्कि मित्र देशों के भी कैडेट प्रशिक्षण लेते हैं। अकादमी में अब तक 30 मित्र देशों के तकरीबन ढाई हजार से अधिक युवाओं को प्रशिक्षित किया जा चुका है। इनमें बड़ी संख्या में अफगानी कैडेट भी शामिल रहे हैं।अफगानिस्तान को विकसित और प्रगतिशील राष्ट्र बनाने की कवायद के तहत वहां की सेना को मजबूत और आत्मनिर्भर बनाने के उद्देश्य से अफगानी युवाओं को यहां सैन्य प्रशिक्षण दिया जा रहा है। पिछले कुछ वर्षों में हर छह माह में औसतन 40 अफगानी कैडेट आईएमए से पास आउट हुए हैं। यह कहना गलत नहीं होगा कि अफगान सेना को ‘नेतृत्व’ आइएमए से ही मिलता है। अभी जो कैडेट यहां प्रशिक्षण ले रहे हैं, उनका न केवल अब भविष्य अधर में है, अपने परिवार की खैरियत को लेकर भी उनकी बेचैनी बढ़ गई है। चिंता का कारण तालिबान की अफगान सेना के प्रति नफरत और उनका क्रूर व्यवहार है। अब सबकुछ भारत सरकार के अगले कदम पर निर्भर है। वहीं आइएमए की तरफ से अभी किसी तरह का बदलाव नहीं किया गया है। जनसंपर्क अधिकारी ले. कर्नल हिमानी पंत के अनुसार, अफगानी कैडेट को अभी पूर्व की तरह ही प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इसके अलावा सेना मुख्यालय के निर्देशों का इंतजार है। उसके बाद ही कुछ स्पष्ट बता पाना मुमकिन होगा। जहां तक अफगानी कैडेट के चिंतित होने की बात है, हालिया स्थिति में वह स्वाभाविक है। अकादमी के प्रशिक्षक व फैकल्टी हर स्थिति में उनके साथ है और उनका हौसला बढ़ा रहे हैं।

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