उत्तराखंड का विश्व विख्यात कॉर्बेट टाइगर रिजर्व देश का पहला ऐसा टाइगर रिजर्व बना गया है, जिसके पास वन्यजीवों को ट्रैंक्यूलाइज कर रेस्क्यू (काबू) करने के लिए कारगर विदेशी दवा उपलब्ध है। इस दवा की खासियत यह है कि इससे किसी वन्यजीव को ट्रैंक्यूलाइज करने पर वह महज़ दो मिनट में ही बेहोश हो जाता है। इसी दवा का प्रयोग करते हुए हाल ही में कॉर्बेट पार्क के पशु चिकित्सकों ने एक बाघिन और एक बाघ को ट्रैंक्यूलाइज कर सकुशल राजाजी नेशनल पार्क में छोड़ा है।
कॉर्बेट टाइगर रिजर्व (सीटीआर) इस दवा के लिए 2017 से ही प्रयास कर रहा था। सीटीआर को मिली यह विदेशी दवा मैक्सिको और अफ्रीका से आई है। दिसंबर मध्य में मिलीं इन दवाओं की कीमत करीब बीस लाख रुपये से अधिक बताई जा रही है। कॉर्बेट पार्क के पशु चिकित्सक डॉ. दुष्यंत शर्मा ने बताया कि 23 दिसंबर को बिजरानी रेंज में बाघिन और आठ जनवरी को झिरना रेंज के लालढांग में बाघ को रेस्क्यू करने में इस दवा इस्तेमाल किया गया था। भारतीय वन्यजीव संस्थान के पास यह दवा पहले से ही है।
बेहद कारगर और सुरक्षित है यह दवा
पशु चिकित्सक डॉ. दुष्यंत शर्मा के अनुसार ये दवा बेहद कारगर व सुरक्षित है। 23 दिसंबर को ट्रैंक्यूलाइज करने के दो मिनट बाद ही बाघिन बेहोश हो गई थी और फिर रेडियो कॉलर लगाकर एंटीडॉट लगाते ही वह शीघ्र ही होश में भी आ गई। इसके बाद आठ जनवरी को भी बाघ को ट्रैंक्यूलाइज करने के बाद वह दो मिनट में ही बेहोश हो गया था। एंटीडॉट लगाते ही बाघ पूरी तरह से होश में आ गया।