उत्तराखंड

पहाड़ की संस्कृति को संजोता पौड़ी का एक परिवार, पिता की विरासत को बेटे ने संभाला और पोता बढ़ा रहा आगे

उत्तराखंड में प्रतिभागियों की कमी नहीं है, जरूरत है तो उनके हुनर को पहचानने की। पिता की विरासत मिली तो बेटा बन गया लोक गायक कलाकार। पौड़ी जिले के बीरोंखाल ब्लॉक के ग्राम खेतू के संजय धौलाखन्डी ने साकार किये है अपने पिता के सपने।

आज आपको उत्तराखंड की एक ऐसी शख्सियत से रूबरू कराते हैं जोकि 80 और 90 के दशक में अपने हुनर से लोगों का मन मोह लेते थे। जी हां पौड़ी जिले के बीरोंखाल ब्लॉक के अंतर्गत ग्राम सभा सिन्दूडी गांव खेतू के रहने वाले जयानंद धौलाखन्डी शुरू से ही संगीत के इतने बेहतरीन कलाकार है कि उन्होंने अपनी संस्कृति और संस्कृति से जुड़े बाद्य यंत्रों को इस तरह से संजोया की वह खुद ही उसमें इस तरह रम गए कि वह जहां भी शादियां होती वो वहां जाकर अपने उत्तराखंड के प्रसिद्ध मस्कबीन की धुन ढोल दमोऊ और रणसिंहगा के साथ लोगों को अपनी और खींच लेते थे। इस हुनर को जयनंद धौलाखंडी आज भी जीवित रखे हुए हैं। खुद भी जयनंद धौलाखंडी आज भी अपनी कला से लोगों के मन को लुभाते हैं। तो वही उनका पुत्र संजय धौलाखंडी भी अपनी इस विरासत को भूल ना पाए और उन्होंने भी अपने पिता के मार्गदर्शन पर चलने की ठानी संजय धोला खंडी एमए बीएड हैं। लेकिन उनके ऊपर भी विरासत का इस कदर से जुनून चला कि उन्होंने शुरुआती दौर में धौलाखंडी बैंड खेतू की शुरुआत की और शुरुआत के साथ उन्होंने भी लोगों को अपनी कला से मंत्र मुक्त किया और आज भी लोगों के बीच में वह अपनी कला का अक्सर प्रदर्शन करते हैं। साथ ही संजय धौलाखंडी आज उत्तराखंड के लोक गायक कलाकार के रूप में भी उबर रहे हैं। संजय धौलाखंडी अब तक कई गाने भी लिख चुके हैं और कई गाने गा भी चुके हैं जो कि इस तरह से है
नैणीडाण्डा बजार
थलीसैंण बजार
न पे दारू
खैनि गुटका ख़ाके
भौत ह्वैग्या घटेला -घटेल
मेरी गाड़ी आली
गीत मैंने गाते है

संजय मिलन बैण्ड खेतू उत्तराखंड की लोक संस्कृति में आज से नहीं है, बल्कि नवंबर 1978 से है। कहते हैं बाप की विरासत बेटा संभालता है कुछ इसी तरह से जयनंद धौलाखन्डी के परिवार में भी देखने को मिल रहा है। जयनंद धौलाखन्डी के बेटे के बाद उनका पोता भी अपने पिता संजय धौलाखन्डी के मार्गदर्शन पर चल रहा है। जो कि अभी देहरादून में एनिमेशन का कोर्स कर रहा है जबकि वह बहुत ही प्यारा प्यानो भी बजाता है। इसीलिए कहते हैं खून का रिश्ता कहीं दूर तक अपनी छाप छोड़कर जाता है, वही आज जयनंद धौलाखन्डी के परिवार में दिख रहा है संजय बैंड खेतू की खास बात यह है कि वह कहीं लोगों को रोजगार भी दे रहा है। जहां एक तरफ पहाड़ लगातार खाली हो रहे हैं लोग पलायन करके शहरों की ओर बढ़ रहे हैं तो दूसरी तरफ संजय धौलाखन्डी लोक गायक कलाकार अपने गीतों के माध्यम से युवाओं को अपनी टीम में शामिल कर उन्हें रोजगार देने का भी काम कर रहे हैं। ऐसे में सरकार को भी चाहिए कि उत्तराखंड के जितने भी लोक गायक कलाकार हैं,  संगीतकार है उनकी तरफ सरकार को अब ध्यान देने की जरूरत है

धनंजय ढौंढियाल की कलम से ……

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *