क्या 2017 की नीति पर चल रही है कांग्रेस ? विधानसभा सत्र से ठीक पहले हो सकता है नेता प्रतिपक्ष के नाम का एलान
उत्तराखंड प्रदेश की 05वीं विधानसभा का पहला सत्र 29 मार्च को राज्यपाल के अभिभाषण के साथ शुरू होगा। जिसको लेकर सरकार पूरी तरह से तैयार है। वहीं ऋतु खंडूरी के तौर पर प्रदेश को पहली महिला स्पीकर भी मिल चुकी है। लेकिन अभी तक भी विपक्ष में बैठी कांग्रेस नेता प्रतिपक्ष को लेकर तस्वीर साफ नहीं कर पाई है। हालांकि समय की बाध्यता विपक्ष के लिए नहीं है। लेकिन 29 मार्च से आहूत विधानसभा सत्र में बिना नेता प्रतिपक्ष के बात आगे नहीं बढ़ पाएगी। कांग्रेसी सूत्रों की माने तो 2017 की तर्ज पर ही इस बार भी नेता प्रतिपक्ष का चयन विधानसभा सत्र से ठीक पहले किया जा सकता है। चौथी विधानसभा चुनाव के बाद कांग्रेस पार्टी ने विधानसभा सत्र शुरू होने से पहले 26 मार्च, 2017 को नेता प्रतिपक्ष के रूप में डा इंदिरा हृदयेश का चयन किया था। तत्कालीन प्रदेश प्रभारी अंबिका सोनी देहरादून पहुंची थीं और विधायक दल की बैठक के बाद यह निर्णय लिया गया था।
डा हृदयेश का बीते वर्ष 13 जून को दिल्ली में निधन हो गया था। इसके बाद पार्टी ने बीते वर्ष ही जुलाई माह में प्रीतम सिंह को नेता प्रतिपक्ष पद की जिम्मेदारी सौंपी थी। इस बार भी नेता प्रतिपक्ष के चयन को लेकर प्रदेश प्रभारी देवेंद्र यादव देहरादून का रुख कर सकते हैं।
पार्टी को नेता प्रतिपक्ष के साथ प्रदेश अध्यक्ष का रिक्त पद भी भरना है। प्रदेश में हार के कारण प्रदेश अध्यक्ष पद से गणेश गोदियाल का इस्तीफा लिया गया था। हालांकि, गोदियाल की अध्यक्ष पद पर नियुक्ति चुनाव से मात्र सात माह पहले ही की गई थी।
वहीं बड़ी बता यह भी है कि इस बार कांग्रेस के कई विधायक नेता प्रतिपक्ष को लेकर अपनी दावेदारी पेश कर चुके है। जिसमें निर्वतमान नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह सबसे मजबूत नजर आ रहे है। लेकिन धारचूला से युवा विधायक हरीश धामी ने भी अपनी मांग से राष्ट्रीय नेतृत्व को अवगत करा दिया है। दूसरी तरफ कांग्रेस के चार धाम_चार काम के नारे के बीच एकमात्र बद्रीनाथ सीट से जीतकर विधानसभा पहुंचे कांग्रेसी विधायक राजेंद्र भंडारी का दावा भी मजबूत है। प्रदेश में कैबिनेट मंत्री की जिम्मेदारी संभाल चुके राजेंद्र भंडारी का साफ कहना है कि अगर कांग्रेसी हाईकमान ने उनको मौका दिया तो सदन से लेकर सड़क तक वो सरकार को हर मौर्चे पर घेरने का काम करेंगे।