Thursday, December 12, 2024
Latest:
उत्तराखंड

बहुनि सन्ति तीर्थानी,दिवि भूमौ रसासु च। बदरी सदृशं तीर्थ भूतं न भविष्यति।।

उत्तराखंड राज्य में त्रिवेंद्र रावत सरकार के समय उत्तराखंड चारधाम देवस्थानम बोर्ड का गठन किया गया। बोर्ड के तहत चारधाम समेत 51 मंदिरो को शामिल करते हुए बेहतर सुविधाएँ देते हुए यात्रा संचालन की बात कही गई। जिसमें तीर्थ पुरोहितों के हक़ हकूक़ो का भी पूरा सम्मान करने का वादा किया गया। लेकिन बोर्ड गठन के पहले ही दिन से तीर्थ पुरोहित इसके ख़िलाफ़ खड़े नज़र आए। समस्त तीर्थ पूरोहित समाज देवस्थानम बोर्ड को लेकर अपनी आजिविका के विषय में चिन्तित था जबकि देवस्थानम बोर्ड सार्वजनिक भी नहीं हुआ था लेकिन तीर्थ पुरोहित समाज का चिन्तित होना भी जायज था। धीरज पंचभैय्या मोनू, अध्य्क्ष भाजयुमो बद्रीनाथ, उपाध्यक्ष नगर पंचायत बद्रीनाथ, पूर्व सदस्य बद्रीनाथ केदारनाथ मंदिर समिति उत्तराखंड सरकार का कहना है कि यदि गढ़वाल के इतिहास पर सरसरी तौर पर नजर डालें तो यह तथ्य सामने आता है कि देवप्रयागी समाज ने गढ़वाल के चारों धामों की यात्रा के विकास में दोहरी भूमिका अदा की है। देवप्रयाग निवासियों ने ईशा की दसवीं शताब्दी से बद्रीनाथ के पौरौहित्य के साथ उत्तराखंड की चार धाम यात्रा को सारे देश में ऐसा प्रचारित और प्रसारित किया कि सामान्य जनता से लेकर राजा महाराजा तक बड़े विश्वास के साथ अपने पुरोहितों के साथ इस विकट यात्रा पर चल पड़े थे। और इन सब बातों और तथ्यों को गहराई से समझते हुए प्रदेश के नवनियुक्त मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने देवस्थानम बोर्ड पर पुनर्विचार करने का निर्णय लिया है। इसके लिए मैं अपनी एवं समस्त तीर्थ पुरोहित समाज की ओर से मुख्यममंत्री का हार्दिक आभार व्यक्त करता हूं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *